भारत चौहान नई दिल्ली राजधानी सहित तमाम शहरी युवाओं में इनदिनों जिम जाने का क्रेज तेजी से बढ़ा है। 18 से 25 वर्ष तक की आयु के लड़के जिम के दौरान प्रोटीन शेक लेना शुरू कर देते हैं। जबकि उन्हें ये नहीं पता होता कि ये प्रोटीन शेक किडनी को पूरी तरह से डेमेज कर सकता है। बावजूद इसके लगातार प्रोटीन शेक की बिक्री बढ़ रही है। देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान एम्स, सफदरजंग और आरएमएल के डॉक्टरों का कहना है कि प्रोटीन शेक से युवाओं को दूरी बना लेना चाहिए।
शुक्रवार को आरएमएल में आयोजित कार्यक्रम में सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप ने बताया कि हाइपरटेंशन, पथरी और शुगर के अलावा लंबे समय तक पेन किलर, एंटीबायोटीक और स्टोरायड मिला प्रोटिन शेक का इस्तेमाल भी किडनी पर विपरीत प्रभाव डालता है। कटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश समेत छह ऐसे पॉकेटों की पहचान की गई है जहां यह समस्या सबसे ज्यादा है।
अब सप्ताह में दो दिन होगा ट्रांसप्लांट
आरएमएल के चिकित्सा निदेशक डॉ. वीके तिवारी ने बताया कि अभी तक अस्पताल में एक सप्ताह में एक ही किडनी प्रत्यारोपण होता था। लेकिन अब इसे बढ़ाकर सप्ताह में दो मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण करने का लक्ष्य बनाया है। सफदरजंग के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि महिलाओं में किडनी की बीमारी होने के पीछे गर्भावस्था, संक्र्रमण, मधुमेह, मोटापा और आनुवांशिक होते हैं।
बॉक्स : काफी तेजी से बढ़े हैं मरीज
आरएमएल के नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. हिमांशु शेखर महापत्रा ने बताया कि एक बार अगर किडनी खराब हो जाए, तो इसे ठीक भी नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि वर्ष 2010 में एक साल में ओपीडी में दस हजार मरीज आते थे, वे 2017 में बढ़कर 30 हजार हो गया।
किडनी खराब होने पर दो ही विकल्प
एम्स के नेफा्रेलॉजी विभाग के डॉ. भौमिक ने बताया कि किडनी की बीमारी के इलाज के तौर पर डायलिसिस और प्रत्यारोपण ही है। वहीं स्टेम सेल से इसके इलाज की कोशिश चल रही है, लेकिन यह अभी प्राथमिक चरण में है। इसके पूरा होने में पांच साल से भी ज्यादा का समय लग सकता है। परेशानी यह है कि किडनी में करीब 23 प्रकार के सेल होते हैं। ऐसे में इसके सफल होने से असफल होने की संभावना ज्यादा है।