विश्व कैंसर दिवस आज एम्स में आधे से ज्यादा कैंसर मरीज दिल्ली और यूपी से

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ज्ञानप्रकाश
नईदिल्ली ,वि कैंसर दिवस 2020 की थीम आई एम एंड आई विल (आई एम एंड आई बिल) रखी गई है। मंगलवार को मनाए जाने वाले वि कैंसर दिवस से पहले देशभर में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात अखिल भारतीय आयुर्विमान संस्थान (एम्स) कैंसर मरीजों पर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसे दिल्ली से जुड़े राज्यों से एम्स में आने वाले मरीजों की स्थिति का विश्लेषण किया गया है। एम्स के आईआरसीएच केंद्र में बीते दो वर्ष में दिल्ली और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचे हैं। एम्स में आने वाले 50 फीसद से ज्यादा कैंसर मरीज इन्हीं दो राज्यों से हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट:
एम्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कैंसर की राज्यवार स्थिति पता कर स्थानीय स्तर पर चिकित्सा के ठोस कदम उठाए जाना है। हर साल एम्स में करीब 320 मरीजों की बीमारी से मौत हो रही है। एम्स आंकोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष डा. पीके जुल्का के गांवों की अपेक्षा शहरीकृत क्षेत्रों में कैंसर तेजी से फैल रहा है। शुद्ध वातावरण के बावजूद बढ़ते कैंसर की वजह जानने के लिए अलग से रिसर्च होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा से ज्यादातर मरीज नाजुक हालत में एम्स पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो झज्जर के बाढ़सा में कैंसर संस्थान शुरू होने के बाद इन मरीजों को अब समय पर उपचार मिल सकता है।
एम्स आने वाले मरीजों का भौगोलिक विवरण:
राज्य 2018 2019
दिल्ली 3960 4100
यूपी 3731 4125
बिहार 1699 1914
हरियाणा 1369 1389
उत्तराखंड 339 385
कैंसर की स्थिति ओपीडी में:
वर्ष 2018 में ओपीडी 1,46,688 मरीज आए इसमें से 12, 372 नए मरीज थे। जबकि वर्ष 2019 में कैंसर मरीजों की ओपीडी में कुल 1, 71, 778 मरीज आए इसमें से 13, 261 नए मरीज दर्ज किए गए।
सबसे ज्यादा मृत्युदर कैंसर से:
एम्स से प्राप्त रिकार्ड के अनुसार यहां 42 विभाग और 7 केंद्र संचालित हैं। इनमें हर वर्ष 35 से 40 लाख मरीजों को उपचार दिया जा रहा है। इन सभी विभागों में भर्ती मरीजों की औसत मृत्युदर सर्वाधिक कैंसर की है। 2018-19 के दौरान कैंसर मरीजों की मृत्यु दर 25 फीसदी दर्ज की है। जबकि पूरे संस्थान की औसत मृत्युदर 1.8 फीसदी देखी गई है।
बच्चों में कैंसर ज्यादा:
एम्स में कैंसर से बचने के लिए कीमोथैरेपी लेने वाले मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की है। आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में 14034 और 2019 में 16,357 मरीजों को कीमोथैरेपी दी गई। इनमें से बच्चों की संख्या क्रमश: 8198 और 8603 संख्या रही है। एम्स के वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों में कैंसर के मामले बढ़े हैं। कम उम्र में सर्जरी नहीं की जा सकती। इसलिए कीमो में बच्चे ज्यादा हैं।

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