जीटीबी हास्पिटल के बालशल्यक्रिया विभाग जूनियर रेजिडेंट्स के भरोसे एक दशक से रिक्त है विभागाध्यक्ष का पद

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ज्ञान प्रकाश
दिल्ली सरकार के बिस्तरों और सुविधाओं के मामले में दूसरे नंबर आने वाले गुरुतेग बहादुर अस्पताल के बाल शल्यक्रिया विज्ञान विभाग सर्जन बिना ही चल रहा है। करीब दस साल पहले मार्च 2008 में डा. अनुराग कुमार इस विभाग के अध्यक्ष थे इसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रिसर्च मामलों के लिए चयनित कर लिए गए। तब से लेकर अब तक इस विभाग में एक भी फैकल्टी ऐसी नहीं है जो जन्मजात रेयर बिमारियों को दूर करने के लिए सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम दे सके। नतीजतन यहां पर आने वाले हर दिन कम से कम 10 से 12 शिशुओं को इमरजेंसी के बाद दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। विभाग में जूनियर रेजीडेंट्स न चाहते हुए ऐसा करने के लिए विवश हैं।
कैसे बचेगी जान:
ताजा मामला 5 माह की बेबी ऑफ सुरभि नीमो मीडिया सिंड्रोम (एनएमएस) नामक अति दुर्लभ रोग से पीड़ित है। इस वजह से रोगी के शरीर में सूजन के साथ ही शरीर में रेसिस पड़ते हैं। जिससे असहनीय दर्द होता है। उसे यहां इमरजेंसी में रविवार की देर रात लाया गया। प्राथमिक जांच के बाद बाल रोग विभाग के डाक्टरों ने पीडियाड्रिक सर्जरी में रेफर कर दिया। जिसमें लिखा गया है उसकी हालत नाजुक है,शरीर में बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए शल्यक्रिया करना जरूरी है। जब उसे पीडियाट्रिक सर्जरी में लाया गया तब वहां से जूनियर रेजिडेंट्स ने यह प्रेसक्राइब्ड किया कि यहां पर सर्जन नहीं है इसलिए सर्जरी नहीं हो सकती है। उसे चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय ले गए। चौंकाने वाले तथ्य ये है कि इस अस्पताल में भी पीडियाट्रिक सर्जन नहीं है। फिलहाल उसके परिजन लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी में इस उम्मीद में लाए हैं कि उसे यहां भर्ती कर सर्जरी कर नया जीवन मिल जाएगा। बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डा. सुनील गोम्बर ने कहा कि यहां हम शिशुओं को हर स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नैदानिक एवं उपचार संबंधी सेवाएं प्रदान करते हैं। सर्जरी यूनिट के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. सुनील कुमार गौतम ने कहा कि बाल शल्यक्रिया विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए दिल्ली सरकार को सूचित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव आरएन दास ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है। दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसबी) फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति करने के साथ ही स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में 10 रेजिडेट्स के रिक्त पदों के लिए चयन करेगा।

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