ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, संतान की प्राप्ति हर मां-पिता के जीवन में परम सुख है लेकिन जब उसी नई जिंदगी के बीमार होने का दुख भी किसी सदमे से कम नहीं होता। ऐसे ही माता पिता वीना और विनोद अपने बेटे के जन्म को लेकर बेहद खुश थे लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा जन्मजात दिल की बीमारी ट्रांसपोजिशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज से पीड़ित है तो वे परेशान हो उठे। डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी में दिल से फेफड़ों एवं शरीर के अन्य हिस्सों तक खून ले जाने वाली वाहिकाएं बिलकुल उल्टी तरह से जुड़ी होती हैं। इसके अलावा 20 दिन के इस बच्चे के दिल में दो बड़े छेद (वीएसडी) और एएसडी थे। साथ ही उसे सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। बच्चे को तत्काल ऑपरेशन की दरकार थी।
अपोलो अस्पताल के सर्जन्स की टीम ने सफलता पूर्वक सर्जरी संपन्न कर नवजात शिशु को जीवनदान दिया। सर्जन टीम के प्रमुख डा. मुथु जोशी की अनुगवाई में 10 सर्जन्स समेत 17 नर्सिग स्टाफ की मदद ली गई।
ब्लू बेबी, रंग बदलने लगा:
डा. जोथी के अनुसार बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के अंदर ही उसकी त्वचा का रंग बदलने लगा। उसका शरीर नीला पड़ने लगाए तभी माता-पिता उसे लेकर एक स्थानीय डॉक्टर के पास पहुंचे जहां उसका इको करने पर बीमारी का पता चला था। बच्चे की आर्योटा दाएं वेंट्रिकल से जुड़ी थी और पल्मोनरी आर्टरी बाएं वेट्रिकल से जुड़ी थी। यह दिल की सामान्य संरचना से बिल्कुल विपरीत था। चूंकि बच्चे का वजन भी कम था इसलिए ऑपरेशन के दौरान करीब 40 फीसद जोखिम के साथ डॉक्टरों ने सर्जरी शुरू की। करीब पांच घंटे तक ऑपरेशन के बाद बच्चे को बचाने में डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई। डॉक्टरों के अनुसार करीब एक सप्ताह के दौरान निगरानी के बाद बच्चे को छुट्टी दे दी है।
डा. जोथी का कहना है कि इस बीमारी का कोई कारण नहीं होता। हालांकि अगर मां की उम्र ज्यादा हो या परिवार में किसी नजदीकी रिश्तेदार के साथ शादी होने पर या गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अगर गर्भधारण के पहले तीन महीनों में मां को संक्रमण हो जाए उसे एंटीबायोटिक देने पड़ें या मां द्वारा शराब का सेवन धूम्रपान करना भी इसके कारण हो सकते हैं। इनसे लोगों को बचाव करना चाहिए।