परम्परागत रीति रिवाजों के माध्यम से कुपोषण का हल तलाशने की कोशिशे तेज,झारखण्ड में गोदभराई, अन्नप्राशन जैसे पारम्परिक तरीको के जरिए महिलाओं को पोषण का लाभ बता रही है स्थानीय सरकार और यूनिसेफ

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भारत चौहान,रांची
देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कुपोषण से प्रभावित है। महिलाओं और बच्चों में खासकर यह समस्या काफी अधिक है। लेकिन अब इस पर रोकथाम के लिए सरकार कमर कस चुकी है अगर बात करे झारखण्ड की तो यंहा पर कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए सरकार देश में प्रचलित पारम्परिक रीति रिवाजो का सहारा ले रही है। महिलाओं में गोद भराई और नवजात में अन्न प्राशन के जरिए कैसे कुपोषण से बचा जाए इसकी कोशिश की जा रही है।अगर आंकड़ों की बात की जाये तो नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे २०१५ -१६ के मुताबिक झारखंड में एनिमिया से सबसे ज्यादा ६५.२ फीसदी महिलाएं ग्रसित थी।अब सरकार ने इस और बड़े कदम बढ़ाते हुए इसे जड़ से ख़त्म करने का बीड़ा उठाया है इस योजना में सरकार के साथ यूनिसेफ काम कर रही है.उम्मीद है की इन समस्याओ को जल्द ही ख़त्म किया जा सकेगा.
झारखंड के सोशल वेलफेयर विभाग के सचिव मनोज कुमार ने बताया कि नवजात के लिए शुरु के एक हजार दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं। हमने समुदाय आधारित कई सारे ऐसे काम शुरु किया है जिससे की समाज को बच्चों के पोषण के बारे में बताया जा सके। अन्न प्रासन, शिशु प्रवेश दिन और गोद भराई कुछ ऐसे रीति रिवाज हैं जिनके सहारे सरकार कुपोषित परिवार तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इसका काफी फायदा भी देखने को मिला है।

यूनिसेफ की झारखंड प्रमुख डॉ मधुलिका जोनाथन ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से चिन्हित अति पिछड़े जिलों में इस तरह के कार्यक्रम से लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। गर्भावस्था के दौरान गोद भराई और प्रसव के बाद बच्चों में अन्न प्रासन कार्यक्रम से लोग काफी जुड़ रहे हैं।

जानिए किस तरह रस्म रिवाज से काम किया जा रहा है

झारखंड के रांची जिले के उपरी टोला मुहल्ले में रहने वाली मुन्नी देवी और साथ में चार और महिलाओं की गोद भराई रस्म चल रही है। मुन्नी देवी को यह भी नहीं पता कि यह रस्म होती क्या है। उसके आंचल में फलों की टोकरी, दवाइयां और खान – पान की जरुरी वस्तुएं रखी जा रही है। गर्भवती महिलाओं की आरती उतारी जा रही है। मुन्नी देवी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा कि हो क्या रहा है। रांची में पोषण कार्यक्रम की प्रोगाम कॉडिनेटर किरण मेहता ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि इन महिलाओं को गोद भराई कार्यक्रम के माध्यम से प्रसव के दौरान खान – पान से लेकर जरुरी दवाइयों के बारे में बताया जा रहा है जिससे की आने वाला बच्चा स्वस्थ्य हो।

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