दो घंटे की क्रमिक हड़ताल पर रहे तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मी -मरीजों के नहीं बन सके ओपीडी कार्ड, नहीं हो सकी दैनिक जांच व एक्सरे

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अपनी सात सूत्रीय मांगों के समर्थन में सोमवार से दिल्ली सरकार के करीब 20 हजार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सोमवार को दो घंटे की क्रमिक हड़ताल शुरू कर दी है। दिल्ली राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले इस हड़ताल में दिल्ली सरकार के 34 अस्पतालों और 442 डिस्पेंसरियों के स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। क्रमिक हड़ताल 18 मई तक रहेगी। प्रात: 9 बजे से पूर्वाह्न 11 बजे के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों ने चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार किया। नतीजतन इस उमस भरी गर्मी में दूर दराज क्षेत्र से आने वाले मरीजों का ओपीडी कार्ड नहीं बन सका। जो मरीज वार्ड्स में भर्ती हैं उन्हें दवाएं लेने में भी दिक्कतें हुई। एक्सरे व नैदानिक जांच भी नहीं हो सकी। ओपीडी में कार्ड नहीं बनने से डाक्टर भी रोगियों को यह कहते हुए देखे गए कि पहले कार्ड बनवाओं तभी तो हम प्रेस्क्रीप्सन लिखेंगे। लोकनायक अस्पताल, डीडीयू, जीटीबी हास्पिटलमें दवा नहीं मिले और एक्सरे, अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिलने से मरीजों व उनके रिश्तेदारों ने हंगामा किया। चूंकि हड़ताल सिर्फ दो घंटे की थी इसलिए अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को इस बात के लिए राजी किया कि वे 11 बजे के बाद अपनी जांच कराए। इसके लिए वह जांच में भी वरीयता देंगे।
नहीं बनी बात कल भी रहेगी हड़ताल:
दिल्ली राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रधान राजपाल सिंह चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को ज्ञापन दिया था, इसके बाद स्वास्थ्य सचिव ने समस्याओं के निराकरण के लिए बुलाया था लेकिन वे हमारी मांगों को लागू करने में विवश दिखे इस वजह से हमें अपना संघर्ष जारी रखना पड़ेगा। अगर मांगे नहीं मानी तो 25 मई को चौबीस घंटे हड़ताल करेंगे। फिर भी नहीं मानी तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए विवश हो जाएंगे। समिति के अध्यक्ष दारा सिंह, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज तकनीशियन एवं समिति के महामंत्री रघुविंदर सिंह निक्की ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसकी मांगें नहीं मानी गई तो वे दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर देंगे।
प्रमुख मांग:
रिक्त पदों को भरना, अनुबंध रखे कर्मियों को स्थायी, कैशलैस सुविधा चिकित्सीय उपचार, डाक्टर की भांति 60 साल की बजाय 65 साल में सेवानिवृत्त करना, ड्यूटी के दौरान आकस्मिक मृतक कर्मचारी के रिश्तेदार को करुणा के नौकरी देना, सातवें वेतन आयोग के आदेश को लागू किया जाए। रोगी देखभाल भत्ता बढ़ाया जाए। आरोप है कि डाक्टर्स नर्सिग स्टाफ को तो दे दिया गया है लेकिन तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अब तक बढ़ा न देकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। ब्लड बैंक:
मरीजों को सुबह से रक्त लेने व दान करने के लिए घंटों तकनीशियन के आने का इंतजार करना पड़ा। लोकनायक अस्पताल में सुबह 8 बजे से ब्लड बैंक कर्मी नदारद थे। यही हालत जीटीबी, डीडीयू और जीबी पंत अस्पताल में देखी गई।
ओपीडी कार्ड न बनने से हुई दिक्कतें:
नये और पुराने ओपीडी कार्ड 6 से 7 हजार मरीज आते हैं। डीडीयू में 4 से 5 हजार, जीटीबी हास्पिटल करीब 6 से 7 हजार मरीज, हेडग्रेवार में 1200 से 1500 मरीज, डा. अंबेडकर हास्पिटल में 3 से 4 हजार मरीज, जीबी पंत हास्पिटल 2500 से अधिक, गुरुनानक नेत्र में 2300 से अधिक मरीज आते हैं। लाल बहादूर शास्त्री में भी 3 से 4 हजार, संजय गांधीस्मारक अस्पताल में 3 से 4 हजार आते हैं।

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