धूल भरी आंधी से हो सकती है ये 5 खतरनाक बीमारियां, बचाव के लिए अपनाएं ये टिप्स उत्तर भारत के कई राज्यों में धूल भरी आंधी और तूफान का कहर तूफान से हो सकती है ये 5 खतरनाक बीमारियां

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, दिल्ली एनसीआर समेत कई जिलों में मौसम विभाग ने आंधी तूफान के चलते अलर्ट जारी किया है। सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में करीब 60 से 70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आंधी चलीं। जिसके चलते धूल भरी आंधी के कारण लोगों को खासी परेशानियां हुई। विशेषज्ञों की नजर में यह धूल सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। इससे एलर्जी और सांस की दिक्कत, सिलिकोसिस, अस्थमा, बुखार, खुजली जैसी बीमारियां हो सकती है। अस्पतालों में ऐसे आजकल सामान्य मरीजों की अपेक्षा धूल से होने वाली बीमारियों के मरीजों 15 से 20 फीसद तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
धूल से होती है एलर्जी:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक एवं प्लूमोनरी एंड रिस्परेटरी यूनिट के अध्यक्ष डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि धूल के कण सांस की नली में जमा हो जाते हैं। धीरे धीरे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। इसके अलावा धूल से एलर्जी भी हो जाती है। नाक में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ और सोने में दिक्कत होती है तो मान लें कि आपको धूल से एलर्जी है। धूल से एलर्जी सबसे ज्यादा पीड़ादायक और परेशानी देने वाली एलर्जी होती है। ऐसे लक्षण होने पर आपको डाक्टर से तुंरत सम्पर्क करना चाहिए, ताकि आपके फेफड़ों में कोई इन्फेक्शन न होने पाएं।
धूल से एलर्जी के लक्षण:
सांस लेने में तकलीफ, बैठने पर आराम और लेटने में दिक्कत, हमेशा सर्दी जुकाम बने रहना, खुजली होना, आंखों से पानी बहना, आंखों का लाल होना, धूल से एलर्जी से बचने के उपाय
परहेज करें:
धूल और धुएं से बचें, डाक्टरी सलाह मानें आवश्यक दवाएं या वैक्सीन नियमित रूप से लगवाते रहे
सिलिकोसिस:
सिलिका कणों और टूटे पत्थरों की धूल की वजह से सिलिकोसिस होती है। धूल सांस के साथ फेफड़ों तक जाती है और धीरे-धीरे यह बीमारी अपने पांव जमाती है। यह खासकर पत्थर के खनन, रेत-बालू के खनन, पत्थर तोड़ने के क्रेशर, कांच-उद्योग, मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग, पत्थर को काटने और रगड़ने जैसे उद्योगों के मजदूरों में पाई जाती है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इसे रोकने का आज तक कोई कारगर तरीका नहीं बनाया जा सका है। दरअसल यह सिलिका कण सांस के द्वारा पेफड़ों के अंदर तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन बाहर नहीं निकल पाते। नतजीतन फेफड़ों की अंदरूनी सतह पर घाव, सांस लेने में परेशानी, फेफड़े कमजोर होना, फेफड़ों के कामकाज पर असर, फेफड़ों की टीबी होना।
बुखार:
धूल से एलर्जी होने पर मरीज को बुखार चढ़ सकता है। इसके फलस्वरूप, आखों में जलन होती है, पानी लगातार बहता रहता है, छीकें आती है, कफ बनता है और गले में खराश हो जाती है। इससे आराम पाने के लिए आपको तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए।
अस्थमा:
ज्यादा समय तक धूल से एलर्जी बना रहना, अस्थमा का कारण बनता है। छोटे कणों, रोएं आदि से अस्थमा का अटैक पड़ने की संभावना रहती है। यह एक खतरनाक बीमारी है जिसमें मरीज को कही भी और कभी भी अस्थमा का अटैक पड़ सकता है।
खुजली:
एक्जिमा या खुजली होना भी धूल से एलर्जी का एक लक्षण है। इसमें त्वचा लाल पड़ जाती है और खुजली होती है। कई बार त्वचा फूल जाती है और खाल निकलने लगती है।

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