एम्स के डाक्टरों की बुद्धिमता कसौटी पर खरी नहीं – अकादमिक पाठ्यक्रमों में 6.5 फीसद डाक्टर हुए फेल

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , देशभर में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सेवाओं के लिए विख्यात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डाक्टर बुद्धिमता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। मई 2019 में हुई परीक्षा में एमडी, एमएस, एमसीएच और डीएम डिग्री वाले 13 रेजीडेंट डॉक्टर फेल हो गए। इस साल इन अकादमिक पाठ्यक्रमों के लिए मई में 197 डाक्टरों ने परीक्षा दी। यानी 6.5 फीसद डॉक्टर फेल हो गए। दिलचस्प यह है कि फेल हुए 13 डॉक्टरों में 11 डॉक्टर आंतरिक मूल्यांकन में फेल हुए हैं। इससे डॉक्टरों में नाराजगी है। वहीं पिछले साल मई में हुई अकादमिक परीक्षाओं में 119 डॉक्टरों ने परीक्षा दी थी जिनमें केवल सिर्फ छह डॉक्टर ही अनुत्तीर्ण हुए थे। इस साल पहले के मुकाबले दोगुने से अधिक डॉक्टरों के करियर को नुकसान हुआ है। एनेस्थेसिया विभाग में छह में दो डाक्टर, जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में 4 में से 2, कम्युनिटी मेडिसन में 3 में से 1, न्यूक्लियर मेडिसन में सिर्फ दो डाक्टरों ने परीक्षा दी थी और दोनों ही फेल हो गए। सर्जरी में हड्डी रोग (ऑर्थोपेडिक्स) के 5 में से 2 डॉक्टर फेल हो गए। एम्स में साल में दो बार मई और दिसंबर महीने में ये परीक्षा होती हैं।
शोध में भी खराब प्रदशर्न:
एम्स में एमडी के बाद शोध कायरे के लिए पढ़ाई करने वाले डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन (डीएम) की पढ़ाई करने वाले चार डॉक्टर भी परीक्षा उत्तीर्ण करने में असफल हुए हैं। इनमेपल्मनरी मेडिसन विभाग में सबसे अधिक तीन में दो डॉक्टर डीएम की परीक्षा में फेल हो गए। यानी केवल 33 फीसद ही सफलता दर रही।

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