भारत चौहान नयी दिल्ली। सेना के जवानों के अपनी वर्दी खुद खरीदने के मामले पर उठे विवाद के बीच आज रक्षा मांलय ने सफाई देते हुए कहा कि यह निर्णय सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत लिया गया है और जवानों को इसके लिए हर साल दस हजार रूपये की राशि दी जायेगी।
जवानों के खुद वर्दी खरीदने की रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद कई स्तर पर इसे लेकर सवाल उठाये गये और कुछ राजनीतिक दलों ने भी इसके लिए सरकार की आलोचना की।
अब रक्षा मांलय की ओर से सफाई में कहा गया है कि मीडिया में आई ये रिपोर्ट बिना पर्याप्त जानकारी हासिल किये लिखी गयी हैं। उसका कहना है कि यह निर्णय केन्द्रीय सशस पुलिस बलों पर भी लागू किया गया है इसलिए केवल सेना का मामला उठाना उचित नहीं है। हालाकि रक्षा सचिव संजय मिा ने मंगलवार को रक्षा मंी निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में एक संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब में मीडिया में आयी रिपोटरें का खंडन करते हुए इन्हें सरासर गलत बताया था । उन्होंने कहा कि वर्दी जहां से खरीदी जा रही थी वहीं से खरीदी जायेंगी।
मंत्रालय के आज जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में जवानों को वर्दी के लिए राशि देने का प्रावधान किया गया है और सेना इसकी व्यवस्था करेगी। जवानों को इसके लिए हर वर्ष दस हजार रूपये की राशि देगी। सेना ने इसके लिए कैंटीन और अन्य माध्यमों से गुणवत्तापूर्ण कपडे की खरीद और इसकी सिलाई की व्यवस्था की है। जवान निर्धारित मानदंडों के अनुसार वर्दी अपनी पसंद की जगह से भी सिला सकते हैं। यह व्यवस्था केन्द्रीय पुलिस बलों के लिए भी की गयी है । इसलिए इस मामले में बिना पर्याप्त जानकारी के केवल सेना का ही मुद्दा मीडिया में उठाना उचित नहीं है।