मरीज हलकान, सरकार परेशान, डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने में छूट रहे हैं चयन एजेंसी के पसीने -जूनियर डाक्टरों से सर्जरी कराने के लिए विवश है मरीज -इलाज में कथित लापरवाही मामलें भी बढ़ रहे हैं

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली दिल्ली सरकार के 39 अस्पतालो में करीब 1167 डाक्टरों के पद रिक्त है। इन स्थायी पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्वायत्त एजेंसी दिल्ली अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) को जिम्मेदारी दी है। बीते तीन साल के दौरान क्रमश: जनवरी 2015, मार्च 2016, अगस्त 2017 और फरवरी 2018 व सितम्बर 2018 और जनवरी 2019 में आनलाइन परीक्षा देने के चयन के लिए लिखित परीक्षा ली गई। लेकिन इसमें सिर्फ पांच फीसद उम्मीदवार ही उर्त्तीण हो सके। बीच का रास्ता निकालते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी किया। जिसमें दिल्ली सरकार के सभी चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे अपने यहां विभिन्न विभागों में डाक्टरों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करे। यह नियुक्ति अनुबंध के आधार पर होगी। लेकिन चौंकाने वाले तथ्य ये है कि वेतनमान में विसंगतियां आसामान्य होने की वजह से कई अनुभवी डाक्टरों ने सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी ज्वाइन नहीं किया।
डाक्टर की कमी दूर करने के लिए चयन शार्टकट, जोखिम भरा है कदम:
सूत्रों के अनुसार अब फैकल्टी स्तर के अनुभवी डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने बीच का रास्ता निकाला है। इसके तहत वे जूनियर डाक्टरों की नियुक्तियां कर रहा है। फैकल्टी सदस्य ने कहा कि यह अनुचित है और तर्कसंगत नहीं है। दरअसल, हम कम से कम डाक्टरी पेशा में कामचलाउ अनुभवहीन डाक्टरों को सीनियर्स की जगह सेवाएं नहीं ले सकते हैं। चूंकि यह जीवन बचाने से जुड़ा मामला है, इसलिए जूनियर डाक्टर की हल्की सी चूक की वजह से मरीज की जान जा सकती है। हाल ही में लोकनायक अस्पताल के सर्जरी यूनिट में एक जूनियर डाक्टर की चूक की वजह से मरीज की जान चली गई थी, ऐसे ही डा. अंबेडकर अस्पताल, जीटीवी अस्पताल में अलग अलग मामले सुर्खियों में दर्ज किए गए हैं। मरीज के रिश्तेदारों ने इलाज में कथित लापरवाही का मुद्दा उठाते हुए जूनियर डाक्टर सर्जरी को अंजाम देने में चूक होने संबंधी भी आरोप लगाते हुए, हंगामा किया। यह मामला हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जनता दरबार में भी पहुंचा है। स्वास्थ्य विभाग आरोपी डाक्टरों लापरवाही की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है। इस कार्य में दिल्ली सरकार की स्वायत्त संस्था दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) की मदद भी ले रहा है।
यूपीएससी की लेंगे मदद:
हालांकि डाक्टरों की कमी को दूर करने प्रश्न पर स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि हमने संघ लोक सेवा आयोग से डाक्टरों के चयन करने के लिए मदद मांगी है। उम्मीद है, रिक्त पदों को जल्द भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। समस्या का निदान भी होगी। उन्होंने कहा कि सर्जरी के मामले में किसी जूनियर डाक्टर की सेवाएं नहीं ली जा रही है, यह जरूर है कि यदि सीनियर्स की यूनिट में कमी रहती है, तो उसके निर्देशन में शल्यक्रिया को अंजाम दिया जाता है। यह मेडिकल इथिक्स के तहत ही हो रहा है।

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