ज्ञान प्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली , समय रहते जांच कराए .. काला मोतिया भगाए.अपनी आखों की रोशनी बचाए ..यही सदेंश लोगों तक पहुंचाने के लिए र्वड ग्लूकोमा अवेयरनेस वीक के मौके राजघाट पर अवरनेस वॉक का आयोजन किया गया। ड़ाक्टरों की मानें तो जानकारी और बचाव ही सेहत के लिए सबसे पहला और सबसे मुफीद कदम है।
सेंटर फॉर साइट के निदेशक डा. महिपाल सिंह सचदेव के अनुसार र्वल्ड ग्लूकोमा पेशेंट एसोसिएशन के ग्लूकोमा अवेयरनेस वीक 12 से 16 मार्च तक मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को ग्लूकोमा के प्रति जागरुक करना है इस सप्ताह के दौरान आंख की जांच और दृष्टि परिवर्तन की त्वरित कार्रवाई जैसे मामलों को आम जनता के साथ उठाया जाता है ताकि ग्लूकोमा को रोकने और इलाज में मदद मिल सके। आई 7 के निदेशक डा. संजय चौधरी ने डब्ल्यूजीपीए के हालिया आंकडे जारी करते हुए कहा कि दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष ग्लूकोमा से पूरी दुनिया में प्रभावित होने वाले लगभग 68 प्रतिशत संख्या भारतियों की है। दुर्भाग्यपूर्ण आंकड़ा यह है कि प्रत्येक वर्ष 1.2 लाख भारतीय हर साल इस बीमारी से अंधे हो रहे है। इसलिए लोगों की जानकारी बढ़ाने व उन्हें हमेशा अपने आंखों के प्रति सतर्क रहने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने के सप्ताह में वि ग्लूकोमा वीक मनाया जाता है।
दृष्टि के लिए शांत हत्यारा:
ग्लूकोमा दृष्टि संबंधी एक शांत हत्यारे कि तरह होता है और जो अंधेपन का सबसे बड़ा मुख्य कारण है. इसके कभी भी किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते. आंख की पौष्टिकता और आकार उत्पादन और तरल पदार्थ की निकासी पर निर्भर करती है इसे एक्यूअस हयूमर के नाम से जाना जाता है। इस सप्ताह के माध्यम से काला मोतिया के बारे में अधिक से अधिक जागरु कता पैदा करने और लोगों में इसके प्रति जानकारी बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। अंधेपन का दूसरा कारण काला मोतिया है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती तो यह होती है कि इसके लक्षण तभी उभरते हैं जब मरीज अपनी अधिकतर दृष्टि खो चुका होता है। ग्लूकोमा की शुरु आती पहचान के लिए तीन तरह की जांच प्रक्रिया होती है। टोनोमीटर द्वारा नेत्र दबाव की माप, ऑष्टिक डिस्क, नेत्र बिम्ब परीक्षण, दृष्टि के बाहरी क्षेत्र की जांच के लिए विजुअल फील्ड्स।
ऐसे रोंके ग्लूकोमा:
ग्लूकोमा को रोकने का एकमात्र रास्ता शुरु आती स्तर पर इसकी पहचान है। अपने वार्षिक चेक-अप की सूची में निरोधात्मक नेत्र परीक्षण को भी शामिल कीजिए। नेत्र दबाव में तेजी से वृद्धि के परिणाम स्वरूप होने वाले गंभीर ग्लूकोमा की स्थिति में जो कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, थियेटर जैसे अंधकारमय जगह पर देखने में असहजता, आंखों के नंबर में जल्दी-जल्दी बदलाव, आंखों की बाहरी दृष्टि का कम होना, सिरदर्द, आंखों में कुछ भाग से दिखाई न देना। प्रकाश के आस पास इंद्रधनुषी छवि दिखना, आंखों में तेज दर्द, वमन व जी मचलना, दृष्टि पटल पर अंधेरे क्षेत्रों का एहसास, आंखों और चेहरे का तेज दर्द, आंखों की लाली, प्रकाश के चारों तरफ चमक के साथ धुंधुली दृष्टि, मितली और उल्टी।
उपचार:
इसके उपचार के अंतर्गत लेजरों द्वारा चिकित्सा प्रबंधन, शल्य चिकित्सा प्रबंधन किया जाता हैं मेडिकल प्रबंधन आई ड्रॉप के साथ किया जाता है। सर्जिकल प्रबंधन के अंतर्गत वे प्रक्रिया की जाती है जहां एक ऐसा ओपन एरिया बनाया जाता है। मोतियाबिंद के इलाज के बाद आप अपनी पहले की तरह जीवन जी सकते है।