ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि देश में गिद्धों की संख्या में तेजी से कमी आई है और तीन दशक में इनकी संख्या चार करोड़ से घट कर मात्र 19 हजार रह गई है। देश में गिद्धों की स्थिति पर एक सवाल के लिखित जवाब में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में इसकी तीन प्रजातियां हैं। लेकिन उनकी संख्या में तेजी से कमी आई है। उन्होंने कहा कि गिद्धों की संख्या में तेजी से कमी आने को पहली बार 1990 के दशक के मध्य में दर्ज किया गया था और 2007 तक ‘जिप्स’ प्रजाति के गिद्धों की संख्या 99 फीसदी घट गई। मंत्री ने कहा कि 1990 से बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) द्वारा हर चार साल पर देश भर में गिद्धों का सव्रेक्षण किया जाता है। गिद्धों की संख्या में कमी आने का मुख्य कारण ‘डाइक्लोफेनेक’ नाम की दवा है,जो पशुओं को दर्द से राहत दिलाने के लिए दी जाती है। जावड़ेकर ने कहा कि यह दवा गिद्धों के लिए बहुत जहरीली है और इसके चलते उनका गुर्दा काम करना बंद कर देता है। भारत सरकार ने 2006 में इस दवा के पशुओं में इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। मंत्री ने यह भी बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में गिद्धों के संरक्षण के लिए आठ गिद्ध प्रजनन केंद्र स्थापित किए गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2016 से 2019 के बीच सरकार ने पांच राज्यों — पंजाब, हरियाणा, केरल, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल — में गिद्ध संरक्षण के लिए कुल 12. 53 करोड़ रूपये जारी किये।
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