भारत चौहान नयी दिल्ली, देशभर के करीब 75 से अधिक इंजीनियंिरग और तकनीकी महाविद्यालयों ने इस अकादमिक सत्र में छात्रों को प्रवेश नहीं देने का फैसला किया है। बंद होने की तैयारी कर रहे इन कॉलेजों में अधिकतर उत्तर प्रदेश के हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन संस्थानों के बंद होने का विकल्प चुनने के मुख्य कारणों में पाठ्यक्रम या कॉलेजों के लिए कम आवेदन तथा और धन की कमी शामिल है। परिषद के अधिकारियों ने कहा कि इस साल अब तक 78 तकनीकी कॉलेजों ने ’क्रमिक रूप से बंदी’ का विकल्प चुना है। उन्होंने कहा कि अकादमिक सत्र 2018-19 के दौरान 54 कॉलेजों ने क्रमिक रूप से बंद होने का विकल्प चुना था। 2017-18 के दौरान ऐसे कॉलेजों की संख्या 106 थी। परिषद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ’कॉलेज क्रमिक रूप से बंद होने का विकल्प चुन रहे हैं, उन्होंने नए छात्रों को दाखिला देना बंद कर दिया है और वे दाखिला ले चुके छात्रों की पढाई पूरी होने तक संचालन जारी रखेंगे। इनमें से 31 कॉलेज उत्तर प्रदेश में स्थित हैं जबकि पंजाब के छह कॉलेज हैं।’ उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ और हरियाणा में पांच-पांच, उत्तराखंड, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और गुजरात में चार-चार, राजस्थान, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र में ऐसे दो-दो कॉलेज हैं। परिषद के आंकड़ों के अनुसार देशभर में 264 इंजीनियंिरग कॉलेज बिना उसकी मंजूरी के संचालित हो रहे हैं। आर्किटेक्चर के 116 कॉलेज भी बिना परिषद की मंजूरी के चल रहे हैं।
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