ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली
राजधानी वालों के लिए अच्छी खबर है। अब राजधानी में कहीं भी एक्सीडेंट होने, आग से जलने और एसीड अटैक का शिकार होने पर किसी भी सरकारी या निजी अस्पतालों या र्नसंिग होम में इलाज कराया जा सकता है। खास बात यह है कि इसके लिए मरीज के परिजनों को पूरे इलाज के दौरान उस निजी अस्पताल या र्नसगि होम को एक रु पया भी देने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि यह खर्च दिल्ली सरकार अरोग्य कोष के माध्यम से वहन करेगी।
दिल्ली स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ. कीर्ति भूषण ने इससे संबंधित निर्देश जारी कि या। निर्देश जारी होने के पहले दिन यानी बीते चौबीस घंटे के दौरान शनिवार को राजधानी के 39 इमरजेंसी सुविधावाले अस्पतालों में 204 दुर्घटनाग्रस्तों को मुफ्त में इलाज की सुविधा दी गई।आए 204 दुर्घटनाग्रस्तों में से 189 मरीजों के माइनर ऑपरेशन किए गए जबकि 11 मरीजों को गंभीर हालत में लाए जाने पर अति गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया जहां पर उनकी हालत स्थिर लेकिन गंभीर बताई गई। अन्य चार को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। हालांकि देर सायं तक राजधानी में स्थित 1767 पंजीकृत नर्सिग होम्स और 35 कारपोरेट अस्पतालों मे कितने दुर्घटनाग्रस्तों को क्या सुविधाएं मिली फिलहाल स्वास्थ्य विभाग को आंकड़े नहीं मिल सके थे।
किसी के साथ भेदभाव नहीं:
डा. भूषण ने कहा कि बीते 8 फरवरी को दिल्ली सरकार ने जारी आदेश में सभी अस्पताल प्रमुखों को निर्देश दिया था कि वे अगले दस दिनों के दौरान अपने यहां यह सुनिश्चित कर लें कि उनके यहां दुर्घटना ग्रस्त आने वाले सभी घायलों को चिकित्सीय एवं औषधीय सेवाएं निर्बाध रूप से मुफ्त में प्रदान करने की व्यवस्था करे। आदेश की सीमा गत दिवस समाप्त हो गई। जिसे आज से लागू कर दिया गया। सायं 5 बजकर 30 मिनट तक दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में यह आंकड़े प्राप्त हुए।
मरीज का पता कहीं का भी हो, मुफ्त सुविधा देने का दावा:
इसमे दिल्ली के निवासी या आर्थिक स्थिति आड़े नहीं आएगी। ऐसे सभी मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध न्यूनतम इकोनोमी कैटेगरी की सुविधाएं मिलेंगी। ऐसे में केवल उन्हीं र्नसंिग होम को एक्जम्शन मिल सकता है जिन्होंने रात में डॉक्टरों के नहीं होने की वजह से पहले ही अथोरिटी से इसकी इजाजत ले रखी है। इस सुविधा के लिए र्नसंिग होम को मरीज के आने के बाद मरीज के डीटेल लेकर स्थानिय पुलिस थाने को सूचित करना होगा। साथ ही मरीज के दाखिल होने के छह घंटे के अंदर स्वास्थ्य सेवा द्वारा जारी इमेल आईडी या मोबाइल नंबर पर एसएमएस कर जानकारी देनी होगी।
24 घंटो में देनी होगी ट्रांसफर की सूचना:
अगर अस्पताल या र्नसंिग होम में मरीज के इलाज से संबंधित डॉक्टरों की विशेषज्ञता या तकनिक का आभाव है तो ऐसी स्थिति मे अस्पताल को मरीज दाखिल करने के 24 घंटे के भीतर उसे बेहतर और इलाज के सुविधा योग्य अस्पताल में ट्रांसफर करना होगा। इसकी जानाकरी भी अगले 24 घंटे में सरकार को देनी होगी। इसके अलावा ऐसे ट्रांसफर के समय अस्पताल को स्वयं अपने सा फिर कैटस एंबुलेंस से ही भेजना होगा। अस्पताल को इसका भुगतान मरीज के डीसचार्ज होने पर सरकार द्वारा तय दरों पर किया जाएगा। इसके साथ ही मरीज के डीसचार्ज होने पर अस्पताल मरीज को 100 प्रतिशत छूट का बिल देना होगा। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उधर, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि निजी अस्पतालों को घायलों को मुफ्त में चिकित्सीय सेवाएं देनी ही होगी। आनाकानी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।