ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली
राजधानी के एक निजी अस्पताल के सर्जन्स ने 200 किलोग्राम वजन वाले 52 वर्षीय मरीज की जीवनरक्षक बेरियाट्रिक सर्जरी सफलता पूर्वक संपन्न की। अंजू चौधरी नामक इस महिला ज्यादा वजन बढ़ने की वजह से मधुमेह, उच्चरक्तचाप, सांस लेने में दिक्कत (सीओपीडी) जैसी अन्य कई बीमारियों ने घेर लिया था।
फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल हास्पिटल, वसंतकुंज में बेरियाट्रिक एंड जीआई सर्जरी के निदेशक डा. रणदीप वाधवा ने कहा कि सर्जरी 5 घंटे तक चली। विभिन्न क्षेत्रों के 6 डाक्टरों, प्लामेनॉलिजिस्ट, कार्डियालॉजिस्ट, इंडोक्रानोलॉजिस्ट और एनेस्थिसिया ने साथ मिलकर चर्बीयुक्त हिस्से को निकाल दिया। सर्जरी के पहले चरण में 30 किलोग्राम से अधिक कम हो गया। अनुमान के मुताबिक वह 18 महीनों में 100 किग्रावजन घटा सकेंगी और उसके बाद सेहतमंद जीवन जी सकेंगी।
चुनौतियां:
सर्जरी में चुनौतियां कम नहीं थीं। विषेश तरह के ऑपरेशन टेबल्स और उपकरणों की व्यवस्था की गई। चर्बी के सतह के नीचे सुई की प्वांइट को पहुंचाना भी चुनौती भरा था। इसमें समय का प्रबंध भी महत्वपूर्ण था क्योंकि एनेस्थिसिया ऐसा दिया गया था जो दुर्बल मरीज को दिया जाता है। सर्जरी के तत्काल बाद मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया।
यह भी:
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 1975 से मोटापे की समस्या तिगुनी हो गई है। 2016 तक 1.9 अरब वयस्क ओवरवेट थे, जिनमें से 650 मिलियन से अधिक मोटापे के षिकार थे। 2016 में ओवरवेट/मोटापा से ग्रस्त 39 प्रतिशत वयस्कों में से 30 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं थीं। लोगों को ओवरवेट तब माना जाता है जब उनका बॉडी मास इंडेक्स 25 से अधिक या उसके बराबर हो। अगर बॉडी मास इंडेक्स 30 के बरारबर या उससे अधिक हो तो व्यक्ति को मोटापे से ग्रस्त माना जाता है।