ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली
5वीं ग्लोबल फोरम ऑन टीबी वैक्सीन्स’ की यहां राजधानी में आयोजित सम्मेलन में वैज्ञानिक शोधकर्ताओं, क्लीनिशियंस नवीनतम अनुसंधान एवं परिणामों को गति देने के लिए ज्यादा से ज्यादा वित्तीय सहायत देने की मांग की। उनका कहना था कि ताकि टीबी के नए टीके विकसित करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि ड्रग-सेंसिटिव और ड्रग-रेसिस्टेंट (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट एवं टोटली ड्रग रेसिस्टेंट) दोनों के लिए कारगर वैक्सीन विकसित किए जाने की सख्त जरूरत है। टीबी खत्म करने की वि स्वास्थ्य संगठन की रणनीति- डब्ल्यूएचओ एंड टीबी स्ट्रेटजी में 2035 तक इस महामारी को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है किंतु यह ध्येय नए टीकों के साथ-साथ बेहतर डायग्नोस्टिक व इलाज के बगैर पूरा नहीं किया जा सकता।
वि मंच पर भारत राहत भरी पहल:
वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की डिप्टी डायरेक्टर जनरल (प्रोग्राम्स) और 5वीं ग्लोबल फोरम की को-चेयर डा. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, टीबी को खत्म करने की वि स्वास्थ्य संगठन की रणनीति अनुसंधान एवं विकास की कोश्शेिं तीव्र करने को अत्यंत महत्व देती है, खासकर एक प्रभावी टीबी वैक्सीन विकसित करने के लिए ताकि टीबी उन्मूलन के उद्देश्य की प्राप्ति की जा सके। किफायती व प्रभावी टीके विकसित करने में भारत की विशेषज्ञता एवं अनुभव, युवा वैज्ञानिकों की बड़ी तादाद और स्वदेशी उत्पाद विकास पर सरकार के जोर के मद्देनजर यह उपयुक्त था कि ग्लोबल फोरम ने अपने सम्मेलन के लिए भारत को आयोजन स्थल के तौर पर चुना है और इतने बड़े पैमाने पर सहभागिता देखकर हम बहुत खुश हैं।
लंबे समय से प्रयास:
डा. सौम्या ने कहा कि टीबी का मौजूदा टीका ’बीसीजी’ 1920 के दशक में बना था। लगभग 100 साल पुरानी यह वैक्सीन बच्चों में टीबी के गंभीर प्रकारों (विशेषकर टीबी मैनिनजाइटिस) की रोकथाम में ठीक-ठाक रूप से असरदार है किंतु यह किशोरों एवं व्यस्कों को पर्याप्त रूप से सुरक्षा नहीं दे पाती, जबकि टीबी से संक्रमित होने व उसे फैलाने का जोखिम इन्हीं में ज्यादा होता है। इसीलिए यह आवश्यक है कि एक ऐसा टीका विकसित किया जाए जो किशोरों और व्यस्कों को इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने, रोग के विकास या फैलाव से बचा सके तथा इस महामारी को घटाने में सबसे किफायती एकल साधन सिद्ध हो। दुनिया भर में टीबी के 12 टीके क्लीनिकल परीक्षणों की विभिन्न अवस्थाओं में हैं, अन्य बहुत से उम्मीदवार एवं कॉन्सेप्ट विकास की प्रारंभिक अवस्था में हैं।
प्रभावी वैक्सीन अहमियत:
केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव प्रीति सूदन ने कहा पिछले कुछ वर्षो में भारत सरकार ने कई प्रगतिशील नीतिगत बदलाव किए हैं जिनसे टीबी के डायग्नोसिस एवं इलाज का तरीका बदला है। हालांकि, टीबी उन्मूलन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हम एक प्रभावी वैक्सीन की अहमियत को जानते हैं और इसीलिए टीबी वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने के लिए हमने सहयोगात्मक पहलकदमियां की हैं। ग्लोबल फोरम भारत में आयोजित की जा रही है और हमें उम्मीद है कि यह एक फलदायी व उत्पादक सम्मेलन साबित होगा।