स्वाइन फ्लू जांच किट का अस्पतालों में है टोटा -नए साल में अब तक दो की एच1एन1 से हो चुकी है मौत

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, मौसम में आद्र्रता बढ़ने के साथ ही जहां डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया के मामले बेहद कम हो गए हैं, बीते सप्ताह तो दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मेडिकल रिपोर्ट में एक भी मामले दर्ज नहीं किए गए। वहीं अब राजधानी में मैन टू मैन फैलने वाला एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू के मामला रफ्तार पकड़ती जा रही है। एम्स, आरएमएल, लोकनायक और सफदरजंग में रविवार को अलग अलग क्षेत्रों के 6 नए संदिग्धों को भर्ती कराया गया। चिंतावाले तथ्य ये है लोकनायक, सफदरजंग में स्वाइन फ्लू जांच किट नहीं है। जिससे यहां आने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। वे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने के लिए विवश है। नए साल में अब तक दो लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि आने वाले समय में इसका प्रकोप बढ़ने की संभावना है।
स्तरीय मॉस्क नहीं:
डॉक्टरों की मानें तो ये इंफ्लूएंजा आम वायरस की तरह हमला करता है, इसलिए आम सर्दी जुकाम, बुखार के लक्षण से इसको पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है। डाक्टरों के बचाव के लिए यहां पर स्तरीय मास्क नहीं है। हमें गुणवत्ताहीन मास्क का प्रयोग करना पड़ रहा है। बीते साल 8 डाक्टर समते कई स्वास्थ्य कर्मचारी भी स्वाइन फ्लू की गिरफ्त में आ चुके है। डाक्टरों ने कहा कि प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं हम मरे या जिएं, सिर्फ मरीजों को इलाज देता रहना ही उनकी रुचि रहती है। फोर्डा के डा. पंकज सोलंकी के अनुसार बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ये वायरस तेजी से फैलता है। आरएमएल के मेडिसन विभाग अध्यक्ष डॉ एके गडपायले के मुताबिक ये बीमारी सांसों के जरिये हवा के संपर्क से फैलती है। जैसे ही बीमारी का शक हो, फौरान जांच और इलाज शुरू कर दें। देरी करने पर ये बीमारी जानलेवा हो सकती है।
जांच किट है महंगी:
निजी अस्पतालों और पैथलैब्स में स्वाइन फ्लू जांच किट की कीमत 2500 से लेकर 7 हजार रुपये तक है। जांच की गुणवत्ता सटीक आएगी की नहीं यह कहना मुश्लिक रहता है। वहीं, आरएमल के चिकित्सा निदेशक डा. वीके तिवारी ने कहा कि बढ़ती सर्दी के साथ ही मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है, इसलिए अस्पताल में 30-30 बेड के दो विशेष वार्ड बनाए गए हैं जहां स्वाइन फ्लू की दवाइयों का खास इंतजाम है और वहां चौबीसों घंटे डॉक्टरों की टीम रहती है।
यह भी:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 21 अक्तूबर तक देश में स्वाइन फ्लू के कारण 615 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि इसके कारण 8025 लोग बीमार पड़ चुके हैं। सर्वाधिक मौतें महाराष्ट्र (259), राजस्थान (200) और गुजरात में 51 हुई हैं। इनमें से चार मौत दिल्ली में की हुई है। जनवरी 2019 के पहले सप्ताह में 11
लक्षण हो तो कराएं जांच:
लोकनायक अस्पताल के निदेशक प्रो. डा. जेसी पासी के मुताबिक अगर सर्दी, खांसी और बुखार के अलावा डायरिया हो जाए तो स्वाइन फ्लू का पता लगाने के लिए तुरंत एच1एन1 की जांच करानी चाहिए। डॉक्टर विक्रम के मुताबिक स्वाइन फ्लू में बुखार के साथ सर्दी जुकाम, सांस लेने में परेशानी होती है। गले में दर्द भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को यह बीमारी तेजी से हो सकती है। कार्डियलॉजिस्ट डा. विवेका कुमार के मुताबिक इसके लक्षण होने पर डॉक्टर को दिखाने के अलावा आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इससे बचाव का सबसे बेहतर उपाय है।
इन लोगों को अधिक खतरा
डा. विवेका कुमार के अनुसार स्वाइन फ्लू का इलाज न होने पर यह जानलेवा भी बन सकता है। खासतौर पर फेफड़े को रोगियों के लिए यह काफी खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चे, बुजुर्गों के इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा कम प्रतिरोधक क्षमता और पहले से बीमार लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से दवा ले रहा हो या इलाज चल रहा हो, उसके लिए भी यह जानलेवा बीमारी साबित हो सकती है।

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