कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन उतारने के लिए इमरजेंसी लैंडिंग की तैयारी!

अगर सरकार फैसला करती है तो कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन मंजूरी पर होगा विचार: संसदीय समिति

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,वैश्विक महामारी कोरोना से निजाद पाने के लिए युद्धस्तर पर तैयार की जारी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा को वैक्सीन के दूसरे और तीसर फेज के मानव ट्रायल के मामले की तह में जाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा गठित स्थायी संसदीय समिति साइंटिस्टों के कामकाज से गद्गद् हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने संसदीय समिति को बताया कि अगर सरकार चाहेगी तो वैक्सीन के लिए आपातकालीन मंजूरी पर विचार किया जाएगा। आसान शब्दों में कहें तो कोरोना वायरस महामारी के विकराल रूप लेने के मद्देनजर अगर सरकार वैक्सीन के लिए तयशुदा सभी प्रोटोकॉल्स में ढील देते हुए उसे जल्दी से लॉन्च करने का फैसला करती है, तो आईसीएमआर इस पर विचार करेगी। आईसीएमआर चीफ ने बताया कि देश में बन रहीं 2 कोरोना वैक्सीन फेज-2 के महत्वपूर्ण क्लीनिकल ट्रायल को तकरीबन पूरी कर चुकी हैं।
डा. भार्गव ने स्थायी समिति के सदस्यों को बताया कि भारत बायोटेक, कैडिला और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से विकसित वैक्सीन कैंडिडेट अभी ट्रायल के अलग-अलग चरणों में हैं। भारत बायोटेक और कैडिला द्वारा बनाई जा रहीं वैक्सीन फेज-2 ट्रायल को पूरा करने के करीब हैं। ऑर्क्‍सफड यूनिर्वसटिी की मदद से सीरम इंस्टिट्यूट जिस वैक्सीन को बना रही है वह पिछले सप्ताहांत में ट्रायल के फेज-2 (बी) में प्रवेश कर चुकी है। इसके लिए देशभर के 17 केंद्रों पर 1700 मरीजों की पहचान की जा चुकी है।
ऐसे हुआ खुलासा:
मीटिंग में हिस्सा लेने वाले सांसदों के मुताबिक, जब यह पूछा गया कि लोगों को अभी इस महामारी के साथ कितने वक्त तक रहना पड़ेगा तब भार्गव ने जवाब दिया कि आम तौर पर फाइनल ट्रायल में 6 से 9 महीने का वक्त लगता है। लेकिन अगर सरकार फैसला करती है तो इमरजेंसी ऑथराइजेशन पर विचार किया जा सकता है। आमतौर पर किसी टीके को विकसित करने में 1 साल से ज्यादा का वक्त लगता है लेकिन महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए तमाम देशों में क्लीनिकल ट्रायल्स के चरणों की अवधि कम रखी जा रही है। कोरोना वायरस संक्रमण का तत्काल पता लगाने के लिए अमेरिका में एफडीए द्वारा लार की जांच किए जाने के बारे में पूछे जाने पर डा. भार्गव ने बताया कि गराए किए हुए पानी से नमूने लेने पर पहले से ही विचार किया जा रहा है। इस बारे में और डीटेल जल्द ही उपलब्ध हो जाएंगे। बैठक में शिरकत कर रहे एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि संसदीय समिति के सभी सदस्यों ने भले ही वे किसी भी पार्टी से हों, ने कोरोना महामारी से लड़ने में आईसीएमआर और स्वास्थ्यकर्मिंयों की भूमिका की तारीफ की।

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