जन प्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता तय करें राजनीतिक दल : वेंकैया

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भारत चौहान नयी दिल्ली, उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राजनीतिक दलों से जनप्रतिनिधियों के लिए आचार संहिता निर्धारित करने की आज अपील की और कहा कि जनप्रतिनिधियों को विधायी सदनों में जनता की आवा उठानी चाहिये।
आई.आई.टी. मद्रास की ‘छा विधायी परिषद’ के सदस्यों से बातचीत करते हुये श्री नायडू ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को गरीबों और वंचितों की पीड़ा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। भारत को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं को समझें और उनकी आवाज उठायें। उन्होंने कहा कि सदन का बहुमूल्य समय नष्ट करना अच्छा नहीं होगा, और इससे केवल समाचार पाों की सुर्खियाँ ही बनेगी।
उपराष्ट्रपति ने सकारात्मक चर्चा की जरूरत पर जोर दिया, जो भारतीय लोकतां की मजबूती के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने छाों से भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने की दिशा में सक्रिय भागीदारी करते हुये अग्रणी भूमिका निभाने का आवान किया।
श्री नायडू ने कहा कि विविद्यालयों अथवा उच्चतर शिक्षण संस्थाओं को समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, विज्ञान और उद्योग जगत के बीच संबंधों की स्थापना करने में सार्थक भूमिका निभानी चाहिये। हमारी शिक्षा पण्राली को परीक्षा अथवा डिग्री पाने की पण्राली से निकलकर ज्ञान-सृजन पण्राली की ओर बढ़ना चाहिये।
भारत के लोकताांिक और संवैधानिक मूल्यों को विकास प्रक्रिया का स्तंभ बताते हुये, उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में भारत की जनता के आदर्श और उनकी आकांक्षाएँ अंतर्निहित हैं।
उप-राष्ट्रपति ने आई.आई.टी. जैसे अग्रणी संस्थाओं से कहा कि गाँव के जीवनयापन को समझने के लिए वे छाों को ग्रामीण क्षेाों के लोगों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि इससे छाों को सहानुभूति और दया की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी तथा वे अंतत: बेहतर इंसान भी बन पायेंगे।

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