ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल गोविंद बल्लभ पंत में बुधवार को नर्सो और कर्मचारियों ने अस्पताल निदेशक डा. अर्चना ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बुधवार को दोनों एसोसिएशनों ने ही निदेशक पर तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए उनके कार्यालय के बाहर प्रदशर्न किया और निदेशक को हटाने की मांग की। इसकी वजह से सुबह दस बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक अस्पताल का काम भी प्रभावित रहा। खास यह रहा इसमें मरीज और उनके रिश्तेदारों ने भी भाग लिया। उनका आरोप है कि यहां दवाएं व अन्य चिकित्सीय सुविधाएं संतोषजनक नहीं है। दवा बाजार से डाक्टर मंगाते हैं।
अस्पताल के र्नसंिग एसोसिएशन का आरोप है कि पिछले कुछ समय से अस्पताल में प्रशासनिक कार्य ठप्प पड़े हुए हैं। अस्पताल में घटिया किस्म के कंज्यूमेबल (सीरिंज, ग्लब्स) आ रहे हैं। नए ग्लब्स पर भी खून के धब्बे लगे हुए हैं, वहीं ग्लब्स पहनते समय ही फट रहे हैं। पेस्ट कंट्रोल की गुणवत्ता भी खराब है। इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। पेस्ट कंट्रोल कराने के दूसरे दिन से ही कीड़ों का निकलना शुरू हो जाता है। गंभीर मरीजों को भी कॉक्रोच और खटमल के साथ रहना पड़ता है।
जीबी पंत अस्पताल नर्सिग एसोसिएशन के अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने कर्मचारियों का संबोधित करते हुए अस्पताल की निदेशक पर तानाशाही करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस कदर तानाशाही कर रही हैं कि जिस कमरे (27 नंबर) से अस्पतालों की नसरे की निगरानी की जाती है, जहां अस्पताल की सभी नर्से रिपोर्ट करती हैं और जहां से उनके कामकाज का लेखा जोखा रखा जाता है, उस कमरे को बिना सहमति के नसरे से लेकर एक सीएमएओ को दे दिया। उनका कहना है कि इस बाबत एसोसिएशन ने निदेशक से बात कर उन्हें समझाने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन निदेशक कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। निदेशक ने इस कमरे पर नसरे के ताले के उपर अपना ताला लगा दिया। इसे लेकर बुधवार को र्नसंिग एसोसिएशन ने निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदशर्न किया। अगर इसके बाद भी निदेशक के रूख में बदलाव नहीं आया तो वे स्वास्थ्य मंत्री से निदेशक को हटाने की मांग करेंगे। इस बीच एमजीआई इंडिया के प्रबंध निदेशक अशोक चंद्रा ने स्वास्थ्य सेवाएं धीमी हो गई है। लोग परेशान है। बिलिंग संबंधी तमाम फाइलों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा। कार्टिलाइजेशन का बोल बोला है। मरीज के रिश्तेदारों ने कहा कि यहां दवाएं नहीं मिलती है। हृदय रोगियों को सामान्य दवाएं तक बाजार से डाक्टर लाने के लिए दबाव बनाते हैं। तमाम शिकायतों को लेकर बृहस्पतिवार को एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलेगा। उधर, अस्पताल की निदेशक डा. अर्चना ठाकुर ने आरोपों को सिरे से नाकार दिया। उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों को ड्यूटी पर समय पर पहुंचे और जाने के लिए सख्त रुख अख्तियार किया है। यही वजह है वे अनर्लगत आरोप लगा रहे हैं। और कर्मचारियों ने अस्पताल निदेशक डा. अर्चना ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बुधवार को दोनों एसोसिएशनों ने ही निदेशक पर तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए उनके कार्यालय के बाहर प्रदशर्न किया और निदेशक को हटाने की मांग की। इसकी वजह से सुबह दस बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक अस्पताल का काम भी प्रभावित रहा। खास यह रहा इसमें मरीज और उनके रिश्तेदारों ने भी भाग लिया। उनका आरोप है कि यहां दवाएं व अन्य चिकित्सीय सुविधाएं संतोषजनक नहीं है। दवा बाजार से डाक्टर मंगाते हैं।
अस्पताल के र्नसंिग एसोसिएशन का आरोप है कि पिछले कुछ समय से अस्पताल में प्रशासनिक कार्य ठप्प पड़े हुए हैं। अस्पताल में घटिया किस्म के कंज्यूमेबल (सीरिंज, ग्लब्स) आ रहे हैं। नए ग्लब्स पर भी खून के धब्बे लगे हुए हैं, वहीं ग्लब्स पहनते समय ही फट रहे हैं। पेस्ट कंट्रोल की गुणवत्ता भी खराब है। इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। पेस्ट कंट्रोल कराने के दूसरे दिन से ही कीड़ों का निकलना शुरू हो जाता है। गंभीर मरीजों को भी कॉक्रोच और खटमल के साथ रहना पड़ता है।
जीबी पंत अस्पताल नर्सिग एसोसिएशन के अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने कर्मचारियों का संबोधित करते हुए अस्पताल की निदेशक पर तानाशाही करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस कदर तानाशाही कर रही हैं कि जिस कमरे (27 नंबर) से अस्पतालों की नसरे की निगरानी की जाती है, जहां अस्पताल की सभी नर्से रिपोर्ट करती हैं और जहां से उनके कामकाज का लेखा जोखा रखा जाता है, उस कमरे को बिना सहमति के नसरे से लेकर एक सीएमएओ को दे दिया। उनका कहना है कि इस बाबत एसोसिएशन ने निदेशक से बात कर उन्हें समझाने की भी पूरी कोशिश की, लेकिन निदेशक कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। निदेशक ने इस कमरे पर नसरे के ताले के उपर अपना ताला लगा दिया। इसे लेकर बुधवार को र्नसंिग एसोसिएशन ने निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदशर्न किया। अगर इसके बाद भी निदेशक के रूख में बदलाव नहीं आया तो वे स्वास्थ्य मंत्री से निदेशक को हटाने की मांग करेंगे। इस बीच एमजीआई इंडिया के प्रबंध निदेशक अशोक चंद्रा ने स्वास्थ्य सेवाएं धीमी हो गई है। लोग परेशान है। बिलिंग संबंधी तमाम फाइलों का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा। कार्टिलाइजेशन का बोल बोला है। मरीज के रिश्तेदारों ने कहा कि यहां दवाएं नहीं मिलती है। हृदय रोगियों को सामान्य दवाएं तक बाजार से डाक्टर लाने के लिए दबाव बनाते हैं। तमाम शिकायतों को लेकर बृहस्पतिवार को एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलेगा। उधर, अस्पताल की निदेशक डा. अर्चना ठाकुर ने आरोपों को सिरे से नाकार दिया। उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों को ड्यूटी पर समय पर पहुंचे और जाने के लिए सख्त रुख अख्तियार किया है। यही वजह है वे अनर्लगत आरोप लगा रहे हैं।