एनसीआर से एम्स में इलाज कराने आने वाले के कैंसर रोगियों को राहत उम्मीद: सितंबर में शुरू होगा झज्जर केंद्र

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भारत चौहान
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हरियाणा, गुरुग्राम व दिल्ली से जुड़े क्षेत्रों से अदद बेहतर इलाज की आस में आने वाले कैंसर रोगियों की दिक्कतें कम होने वाली है। इस साल झज्जर में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल पर बने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) मरीजों के लिए सितम्बर माह में शुरू होने से एम्स में कैंसर मरीजों को बोझ घटेगा। इसके लिए तैयारियां हो गई हैं।
एम्स में आईआरसीएच के निदेशक डा. जीके रथ ने राष्ट्रीय सहारा से कहा कि यह इस साल 1 सितंबर को शुरू हो जाएगा। अगर एम्स में मरीजों को बोझ बढ़ेगा तो उन्हें यहां से भेजा जाएगा। इसके लिए चार बसें भी रहेंगी जो इन मरीजों को यहां से लेकर झज्जर ले जाएंगी। खास बात यह है कि यहां 710 बेडों की व्यवस्था भी होगी। यह पूरा केंद्र 50 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में बना हुआ है। इससे कैंसर से प्रभावित मरीजों को सीधा फायदा होगा। कैंसर के इलाज में परिवर्तन आया है, अगर मरीज कैंसर के इलाज के लिए पहले पहुंच जाए तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। दिक्कत तब आती है जब व्यक्ति कैंसर के इलाज कराने के लिए अंतिम अवस्था में आता है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस :
इस कैंसर संस्थान को बनाने में 2035 करोड़ रु पये का खर्च आया है। 710 बिस्तरों में से 200 बेड केवल शोध किए जाएंगे। यहां 26 ऑपरेशन थियेटर, 15 प्रयोगशाला, डे केयर की व्यवस्था, हर वर्ष 10 लाख मरीजों के इलाज का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 265 फैकल्टी, 327 रेजीडेंट और 2113 स्टाफ की यहां तैनाती की जाएगी। मैक्स कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार ने कहा कि हर साल ही कैंसर के 15 लाख नए केस सामने आते हैं। लेकिन 80 फीसदी मामलों में कैंसर जल्द ठीक हो जाता है, वहीं 20 फीसदी मामलों में कैंसर के मरीज देरी से आने के कारण उनकी मौत हो जाती है।
एम्स का बोझ होगा कम:
एम्स में कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, ऐसे में सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ ही। जानकारी के अनुसार, सिर्फ चार सरकारी अस्पतालों में रेडियो थेरेपी की सुविधा है। वहीं एम्स और दिल्ली राज्य कैंसर इंस्टीट्यट में कैंसर की अचछी व्यवस्था है। ऐसे में रेडियोथेरेपी के मरीजों को महीनों भर इलाज का इंतजार करना होता है।

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