राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) विधेयक फिर से पेश करने की तैयारी में मोदी सरकार -अब की गई है फूल प्रूफ तैयारी

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , आगामी 17 जून से शुरू हो रहे 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में केंद्र सरकार वह अहम विधेयक फिर से पेश करने की तैयारी में है, जिसका मकसद मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधार करना है। दिसंबर 2017 में पेश किया गया राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) विधेयक 16वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही निष्प्रभावी हो गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि आम चुनावों के बाद नई सरकार के गठन के बाद अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को फिर से विधायी प्रक्रिया शुरू करनी होगी और इसके लिए विधेयक का एक नया मसौदा जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।
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एनएमसी विधेयक के मसौदे को कानून मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है। साल 2017 में संसद के निचले सदन में यह विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। मेडिकल बिरादरी द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा गया। यह विधेयक कानून बन जाने पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) कानून 1956 की जगह ले लेगा। इस विधेयक में ‘ब्रिज कोर्स’ का एक विवादित प्रावधान भी शामिल किया गया था जिसके जरिए वैकल्पिक चिकित्सा पण्रालियों (आयुष) की प्रैक्टिस करने वालों को एलोपैथी की प्रैक्टिस करने की छूट होती। संसदीय समिति ने मार्च 2018 में अपनी सिफारिशें दी थीं, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने विवादित प्रावधान हटा दिया और लोकसभा में आधिकारिक संशोधन पेश करने से पहले समिति द्वारा सुझाए गए कुछ अन्य बदलाव भी किए। अधिकारी ने कहा आधिकारिक संशोधनों को केबिनेट की ओर से मंजूरी दी गई और अलग से लोकसभा में पेश किया गया। अब एनएमसी विधेयक के मसौदे को फिर से तैयार किया गया है और संसदीय समिति द्वारा सुझाए गए संशोधनों को शामिल किया गया है। विधेयक का मसौदा जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा। इस बीच, एमसीआई के निर्वाचित निकाय का कार्यकाल पूरा होने के करीब आने पर केंद्र ने शीर्ष संस्था को भंग कर दिया और पिछले साल सितंबर में अध्यादेश जारी कर सात सदस्यीय बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) को नियुक्त किया ताकि घोटाले के दाग से घिरे मेडिकल शिक्षा क्षेत्र की नियामक संस्था को संचालित किया जा सके। अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय अध्यादेश की जगह लेने के लिए अब एक विधेयक पेश करेगा ताकि बीओजी अपना कामकाज जारी रख सके।

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