ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , अस्पताली की विद्युत आपूर्ति सामान्य करने के लिए बनेगा विभिन्न अस्पतालों की स्थिति की समीक्षा की जा रही है। इसके लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को भेजे पत्र में सुझाव मांगे है जिसमें यह हिदायत दी गई है कि वे अपने यहां विद्युत आपूर्ति की मांग और कितनी हर दिन की खपत हो रही है, कितनी विद्युत आपूर्ति बढ़ाने की दरकार है, बिजली के तारों की स्थिति क्या है, क्या उन्हें बदलने की जरूरत है, केवीए ट्रांसफार्मर्स के रखरखाव की स्थिति, अग्नि शमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र का स्टेट्स क्या है, आदि से अवगत कराए। दिल्ली सरकार, नगर निगम के तीनों जोन, दिल्ली छावनी बोर्ड, केंद्र सरकार आदि के तहत परिचालित अस्पतालों की सख्या 83 है। इसके अलावा करीब 467 पोलीक्लीनिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएससी) हैं। इनमें से ज्यादा सुपरस्पेशिलिटी अस्पतालों में विद्युत आपूर्ति ठप रहने की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती है। जहां पर सामान्यत: इनडोर, आउटडोर चार से पांच लाख मरीजों का राउंड द क्लाक दबाव रहता है।
कमी को दूर करने के लिए 12 सदस्यीय टीम कर रही समीक्षा:
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के अंतर्गत राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में बिजली उत्पादन कंपनियां क्रमश: इंद्रप्रस्थ पावर उत्पादन कंपनी लिमिटेड (आईपीजीसीएल), प्रगति पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीपीएसएल) जबकि वितरण के लिए लाईसेंस प्राप्त कंपनियां अलग है। इनके नाम क्रमश: दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (डीटीएल), बिजली वितरण यूटिलिटीज-टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडक्षडक्षएल), बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल), बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (वीवाईपीएल), नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) से भी स्वास्थ्य विभाग ने मदद मांगी है। स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल के अनुसार इन कंपनियों के सव्रेयर बिद्युत की विभिन्न क्षेत्रों में उनके दायरे में आने वाले अस्पताल, चिकित्सा केंद्रों के बारे में अवगत कराएंगे। यह कार्य उम्मीद है जुलाई के अन्तिम सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा। इस दौरान अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि वे अपने यहां विद्युत आपूर्ति संबंधी कमियों को दूर करे। जरूरत है यदि विद्युत की आपूर्ति बढ़ाने के लिए तो वह उस कमी को दूर करने के लिए सितम्बर तक पूरा करेंगे। मसौदा तैयार होने के बाद उसे मास्टर प्लान योजना में शामिल किया जाएगा। जिसे जरूरी हुआ तो दिल्ली विधानसभा के सत्र में पारित भी किया जाएगा। इस योजना को गंभीरता पूर्वक अंजाम देने के लिए आने वाले खर्च संबंधी राशि को वित्त विभाग को रिलोकेट करना होगा।
जरूरत क्यों:
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा कि दरअसल, गर्मियों में अक्सर लोड सीटिंग की अक्सर दिक्कतें सामने आती है। इसके तहत हाल ही में दीपचंद बंधु अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल, स्वामी दयानंद अस्पताल, लाल बहादुरशास्त्री अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल समेत अन्य कुछ अस्पतालों में अक्सर बिजली गुल होने की शिकायतें मिलती रही है। किसी बड़े हादशे के अंदेशा की पुर्नरवृत्ति न होने देने के तहत स्वास्थ्य विभाग ने यह सख्त कदम उठाए हैं। इसके तहत तारों का बदला, लोड शैडिंग, तकनीकी फाल्ट को दूर करना पहली वरीयता क्रम में शामिल है।