एम्स आपरेशन का समय बढाने पर विचार कर रहा -एनेस्थितिया और फैकल्टी सदस्यों की पहल पर ऐसा होने की है उम्मीद -कम होगी मरीजों की दिक्कतें नहीं की जाएंगी फालतू की दोबारा नैदानिक जांचे

0
688

ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, प्रतीक्षारत मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आपरेशन का समय तीन घंटे से ज्यादा बढ़ाने के प््रमास्ताव पर विचार कर रहा है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक निष्चेतकों (एनेस्थेटिस्ट) द्वारा इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया जा रहा है और वे समय बढ़ाने पर सहमत नहीं हैं।
सर्जन्स की टीम ने अस्पताल में दो सत्रों प्रात: 8 बजे से अपराह्न 2 बजे तक और अपराह्न 2 बजे से रात 8 बजे तक सर्जरी का प्रस्ताव दिया है। फिलहाल सुबह 8.30 बजे से सायं 5 बजे तक सर्जरी की जाती है। अगर प्रस्ताव मान लिया जाता है तो सर्जरी के समय में 3 घंटे की बढ़ोतरी की जाएगी।
एम्स फैकल्टी के एक वरिष्ठ सदस्य डाक्टर का मानना है कि सर्जरी का समय बढ़ने से मरीजों की प्रतीक्षा सूची को घटाने में मदद मिलेगी साथ ही सर्जनों के दूसरी पाली में आने से सेवाओं में सुधार होगा दरअसल, वे तरोताजा रहते हुए अपने कार्य को अंजाम दे सकेंगे।
साल भर में की गई सर्जरी की संख्या एक नजर में:
एम्स के सर्जिकल यूनिट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 में अस्पताल में 1 लाख 94 हजार 015 सर्जरी की गई। इसका मतलब है महीने भर में करीब 16 हजार ऑपरेशन किये गये। डाक्टर ने बताया इसके बावजूद, दिल की सर्जरी की प्रतीक्षा सूची औसतन 6 से 7 साल तक की है। कमोवेश यहीं स्थिति न्यूरोसर्जरी विभाग का है और इसके कारण मरीज परेशान हैं। इलाज के लिए कई मरीज दूर-दराज के इलाकों से अस्पताल आते हैं। लेकिन सर्जरी विभाग में उन्हें काफी अंतराल के बाद समय दिया जाता है। इस बारे में एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पेशेंट्स को राहत देनेके लिए हम हर पहलू पर डाक्टरों का परामर्श लिया जा रहा है। इसमें वे बढ़चढ़ कर अपने विचार व्यक्त करने के साथ ही ज्यादा घंटे तक काम करने के लिए राजी भी हो रहे हैं। जिस हिसाब से बीते कुछ सालों से यहां मरीजों का दबाव बढ़ रहा है उसी के मद्देनजर पिछले कछ सालों में अस्पताल में सर्जन्स की संख्या बढ़ी है लेकिन इसके बावजूद प्रतीक्षा अवधि में कमी नहीं आई।
मरीजों की मिलेगी राहत:
एम्स आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डा. विजय कुमार गुर्जर ने कहा कि इस पहल से यह तय है मरीजों की दिक्कतों में कुछ हद तक सुधार होगा। सर्जरी की डेट तभी मरीज को दी जाती है जब वे सारी नैदानिक जांचों में फिट पाया जाता है। लेकिन आपरेशन थियेटर खाली नहीं होने से जब उसे सालों बाद की डेट दी जाती है जब मरीज उस डेट पर आता है तो एक तो मर्ज और बढ़ चुका रहता है, साथ ही नये सिरे से नैदानिक जांच कराई जाती है। समय पर सर्जरी होने से मरीज को बेहद राहत मिलने के साथ ही उसका दर्द भी समय रहते ही कम हो जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here