भारत को तरजीही व्यापार व्यवस्था से हटायेगा अमेरिका, भारत ने कहा ज्यादा नुकसान नहीं

0
908

ज्ञान/भारत
नयी दिल्ली, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और तुर्की को दिये गये तरजीही व्यापार व्यवस्था वाले देश का दर्जा समाप्त करने का इरादा जताया है। उन्होंने इसके पीछे दलील दी है कि भारत अपने बाजारों तक अमेरिका को ‘उचित एवं तर्कसंगत पहुंच‘ उपलब्ध कराने को लेकर आस्त करने में विफल रहा है। हालांकि, भारत ने कहा है कि इस कदम से उसके अमेरिका को होने वाले निर्यात पर कोई ‘खास फर्क‘ नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, चीन और अन्य देशों पर अनुचित व्यापार पद्धति को अपनाने का आरोप लगाता रहा है। भारत एवं तुर्की से सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) का दर्जा वापस लिया जाना इन मुद्दों के निराकरण की दिशा में अमेरिका का हालिया प्रयास है। अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने का संकल्प जताने वाले ट्रंप कई बार भारत में लगने वाले ‘ऊंचे आयात शुल्कों‘ का जिक्र कर चुके हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को अमेरिकी संसद को पत्र लिखकर दोनों देशों के जीएसपी के तहत दिये जा रहे फायदों को ‘खत्म करने का अपना इरादा‘ बताया है। अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम के तहत कोई विकासशील देश अगर अमेरिकी कांग्रेस द्वारा तय अर्हता शतरें को पूरा करता है तो वह वाहन कल-पुजरें एवं कपड़ों से जुड़ी सामग्रियों सहित करीब 2,000 उत्पादों का अमेरिका को बिना किसी शुल्क के निर्यात कर सकता है। कांग्रेस की जनवरी में प्रकाशित एक रपट के मुताबिक वर्ष 2017 में भारत इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा था। उसने आलोच्य वर्ष में अमेरिका को बिना किसी शुल्क के 5.7 अरब के सामान का निर्यात किया। वहीं तुर्की 1.7 अरब डॉलर के निर्यात के साथ इस मामले में पांचवें स्थान पर रहा था। अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की स्पीकर नैन्सी पैलोसी को लिखे एक पत्र में ट्रम्प ने कहा कि भारत ने अमेरिका को ‘‘आस्त नहीं कर पाया है’ कि वह उसे अपने बाजारों में ’उचित एवं तर्कसंगत पहुंच प्रदान करेगा।‘‘ ट्रंप ने सोमवार को लिखे गए अपने पत्र में कहा था, ‘‘मैं यह कदम उठा रहा हूं क्योंकि अमेरिका और भारत सरकार के बीच काफी बातचीत के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि भारत ने अमेरिका को आस्त नहीं किया है कि वह अपने देश के बाजारों तक उसे न्यायसंगत एवं उचित पहुंच प्रदान करेगा।‘‘ अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं इस बात का आकलन जारी रखूंगा कि भारत सरकार ने जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफ्रेंसेज (जीएसपी) की पात्रता शतरें के मुताबिक अपने बाजारों में उचित एवं तर्कसंगत पहुंच प्रदान की है या नहीं।‘‘ नयी दिल्ली में वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन ने कहा कि भारत जीएसपी के तहत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के सामानों का निर्यात करता है, जिसमें से केवल 1.90 करोड़ डॉलर मूल्य की वस्तुएं ही बिना किसी शुल्क वाली श्रेणी में आती हैं। उन्होंने कहा कि भारत मुख्य रूप से कच्चे माल एवं जैव रासायनिक जैसी मध्यवर्ती वस्तुओं का निर्यात ही अमेरिका को करता है। वाधवन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जीएसपी व्यवस्था को वापस लिये जाने से भारत द्वारा अमेरिका को किये जाने वाले निर्यात पर कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ेगा।‘‘ उन्होंने कहा कि पूरे व्यापार के संदर्भ में अगर फायदे की बात करें तो वह बहुत कम है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) के कार्यालय ने कहा है कि भारत से जीएसपी के दज्रे को वापस लिये जाने की सूचना भारत सरकार को अमेरिकी कांग्रेस को दिये जाने के बाद 60 दिन तक प्रभावी नहीं होगी। राष्ट्रपति की घोषणा के बाद ही यह लागू होगी। अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने का संकल्प जताने वाले राष्ट्रपति ट्रंप कई बार भारत को ‘ऊंचा शुल्क‘ लगाने वाला देश बता चुके हैं। वह शुल्क के मामले में भारत को ‘‘शुल्कों का राजा’’ भी बता चुके हैं। मेरीलैंड में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ट्रंप ने भारत को ऊंची दर से शुल्क लगाने वाला देश बताते हुए शनिवार को आगाह किया था कि वह अमेरिका में आने वाले सामानों पर परस्पर बराबरी वाला जवाबी शुल्क लगा सकते हैं। ट्रंप ने एक अन्य पत्र में कांग्रेस को जानकारी दी है कि उनका तुर्की को दिये गए जीएसपी के दज्रे को खत्म करने का भी इरादा है। विशेषज्ञों ने कहा है कि ट्रंप का यह फैसला भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से बड़ा झटका है, खासकर व्यापार क्षेत्र के संदर्भ में। अमेरिकी सरकार ने अप्रैल, 2018 में भारत के जीएसपी दज्रे की समीक्षा शुरू की थी। यूएसटीआर ने कहा, ‘‘भारत ने कई व्यापारिक बाधाएं लागू की है, जिसका अमेरिका के वाणिज्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। काफी बातचीत के बावजूद भारत जीएसपी की श्रेणी में बने रहने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा पाया।‘‘ इस पर वाधवन ने कहा कि इस मुद्दे पर भविष्य में भी चर्चा हो सकती है। वाणिज्य सचिव अनूप वाधवन ने भारत द्वारा ‘उच्च शुल्क लगाने‘ के अमेरिकी दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हम इससे बिल्कुल सहमत नहीं हैं। हमारा शुल्क (आयात शुल्क) उसी दायरे में हैं जो हम डब्ल्यूटीओ के तहत लगाने के हकदार हैं।’’ ट्रंप सरकार के इस प्रस्तावित फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल ने अमेरिका से भारत को जीएसपी का लाभ जारी रखने का आग्रह किया। उसने कहा है कि द्विपक्षीय व्यापार से जुड़े कई गंभीर मुद्दों के बावजूद जीएसपी कार्यक्रम के तहत व्यापार से दोनों देशों को फायदा हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here