नई दिल्ली, 12 दिसंबर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने चालू वर्ष में मुर्गियों (पॉल्ट्री) और पशुधन की 15 नस्लों के पंजीकरण को मंजूरी दी है। कृषि मंत्री राधा मोहनंिसह ने बुधवार को यह बात कही। नई पंजीकृत नस्लों में जम्मू-कश्मीर से लद्दाखी और महाराष्ट्र एवं गोवा से कोंकण कपिला जैसी दो पशु नस्लें शामिल हैं।
एक कार्यक्रम में नस्ल पंजीकरण प्रमाणपत्र देने के बादंिसह ने कहा, ’यह खुशी की बात है कि नई पंजीकृत नस्लों की संख्या साल दर साल बढ रही है। वर्ष 2010 से 55 नई नस्लों पंजीकृत हुयी है, जिसमें से 40 नस्लों का पंजीकरण 2014-18 के बीच हुआ है जबकि वर्ष 2010-13 के दौरान इनकी संख्या महज 15 थी।
इस साल, भैंस की तीन नस्लें – लुइट (असम और मणिपुर), बरगुर (तमिलनाडु), छत्तीसगढी (छत्तीसगढ); एक भेड़ नस्ल – पंचाली (गुजरात); छह बकरी नस्लों – कहमी (गुजरात), रोहिलखंडी (उ.प्र.), असम हिल (असम और मेघालय), बिद्री (कर्नाटक), नंदीदुर्गा (कर्नाटक), भाकरवाली (जम्मू-कश्मीर), तथा सुअर, गधे और चूजे में प्रत्येक की एक- एक नस्ल भी पंजीकृत करायी गयी हैं।
इन देशी नस्लों को गर्मी सहने की क्षमता, रोग प्रतिरोधी ताकत और कम लागत पण्राली पर बढने की क्षमता के लिए जाना जाता है। ंिसह ने कहा कि नई नस्लों की मान्यता के अलावा, मौजूदा नस्लों में सुधार, देखरेख और संरक्षण समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए, देशी नस्लों की रक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं।