हाथ में पैड लेकर कनॉट प्लेस की सड़कों पर उतरेंगी सैकड़ों युवतियां, ताकि बढ़े आत्मविास -सामाजिक संस्था दिल्ली सरकार के साथ मिलकर कर रही आयोजन पैड यात्रा का आयोजन -उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भी शामिल होने की है संभावना

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,युवतियों और महिलाओं को आमतौर पर सेनेट्री पैड बैग या फिर काले रंग की थैली में छिपाकर ले जाते हुए देखा जाता है। मगर मंगलवार को सैकड़ों किशोरिया व युवतियां खुलेआम माहावारी (मासिक धर्म) होने पर प्रयोग किए जाने वाला सेनेट्री पैड ले जाते हुए देखा जाएगा। वह भी दिल वालों की दिल्ली यानी कनाट प्लेस के इनर, आउटर सर्किल में। यहां एक सामाजिक संस्था सच्ची सहेली, दिल्ली सरकार के साथ मिलकर पैड यात्रा और पीरियड फेस्ट का आयोजन कर रही है। आयोजन का उद्देश्य युवतियों को पीरियड्स (मासिक धर्म) को लेकर पैदा भ्रम को तोड़ना और उनमें आत्मविास जगाना है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में तैनात कई महिला अधिकारी भी इसमें सरीख होंगी।
आयोजन होगा खास:
कार्यक्रम का आयोजन कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में हो रहा है। शुरु आत में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से पहुंचने वाली युवती और महिलाएं सड़क पर सेनेट्री पैड यात्रा निकालेंगी। इस दौरान उनके दोनों हाथों में पैड होगा। फेस्ट में युवतियों और महिलाओं की जागरूक के लिए कई सेशन होंगे। इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग, लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज से संबद्ध श्रीमती सुचेता कृपलानी हास्पिटल, लोकनायक, जीटीबी समेत अन्य अस्पतालों में स्त्री एवं प्रसूति विभाग के करीब दो दर्जन से अधिक विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। जो इस कार्यक्रम में उन्हें पीरियड के समय बरती जाने वाली सावधानी के बारे में बताएंगे, स्थितियों का भलीभांति तरीके से कैसे सामना करे, कौन से एहतियात बरतें, मानसिक तनाव खुद पर न आने दे, जैसे टिप्ट देंगे। इस मौके पर खास यह होगा किशोरियों और महिलाएं एक्पर्ट्स से पीरिएड्स के समय होने वाली दिक्कतों संबंधी प्रश्न भी पूछ सकेंगी। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि इस एतिहासिक कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शिरकत करेंगे।
आयोजन की चेयरमैन डॉ सुरभि सिंह ने बताया कि ज्यादातर युवतियों में पीरियड के दौरान हीन भावना आ जाती है। हमारा उद्देश्य उनमें आत्मविास जगाना है। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि पीरियड का आना शर्म नहीं, बल्कि गर्व की बात है। यदि महिलाओं को पीरियड न हों तो संसार बढ़ना बंद हो जाएगा। यह फिटनेस की निशानियों में से एक है। कार्यक्रम में 9वीं और उससे ऊपर की क्लास में पढ़ने वाली छात्राओं के अलावा महिलाएं भी हिस्सा लेंगी। हमारा उद्देश्य महिलाओं में आत्मविास जगाना है।
माहवारी:
लोकनायक अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डा. सुधा प्रसाद के अनुसार मासिक धर्म को माहवारी, रजोधर्म, मेंस्टूअल साइकिल या एमसी और पीरियड्स के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से गर्भाशय से स्क्त और अंदरूनी हिस्से से होने वाली स्त्राव को मासिक धर्म कहते हैं। मासिक धर्म सबको एक ही उम्र में नहीं होता। लड़कियों को यह 8 से 17 वर्ष तक ही उम्र में हो सकता हैं। कुछ विकसित देशों में लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला मासिक-धर्म होता है। वैसे सामान्य तौर पर 11 से 13 वर्ष की उम्र में लड़िकयों का मासिक धर्म शुरू हो जाता है।

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