अर्शकौर नई दिल्ली कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र ने फूलों की एक अनूठी प्रदर्शनी आयोजित की जिसका उदेश्य विश्व में ‘एकीकरण, शांति और आजादी’ का सन्देश था प्रदर्शनी में कोरिया और भारत के कलाकारों ने दक्षिण व् उत्तर कोरिया को प्रकृति के माध्यम से जोड़ने का प्रयास किया गया कलाकारों ने प्राकृतिक फूलो, पत्तों, स्याही, ब्रश और चावल के बने पेपर का प्रयोग किया. प्रदर्शनी में चारो ऋतुओं की सुंदरता बखूबी दिखी इसमें 19 कलाकारों ने भाग लिया.
इस मौके पर कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक – किम कुम प्योंग ने सभी कलाकारों को सराहा कलाकार चोई योग ने कोरिया के दोनों देशों के बीच स्थित विद्रोहीकरण क्षेत्र को भी एक झील के द्वारा दिखलाया यह एक ऐसा डिवीजन जोन है जिसे दोनों देशो के नागरिक पार नहीं कर सकते वही दूसरी ओर इंक पैंटिग द्वारा पंक्षियों को दिखलाया गया जिनके लिए इंसान द्वारा बनाये गये इन सरहदों का कोई वजूद नहीं रहा जाता
स्नेहा नेगी ने अपने इंक पेंटिंग से बनाये कलाकृति में दोनों देशो के मुख्य पहाड़ो को एक साथ उकेरा – जिससे वह कहना चाहती है की मनुष्य ने यह भेद भाव शुरू किया है, प्रकृति ने सभी को एक सामान्य रूप दिया है और वो सभी को उसी रूप में देखना भी चाहती है
कलाकार – के चंग ने अपने इंक पेंटिंग के माध्यम से लाल और सफ़ेद फूलों को एक साथ दिखलाया जहा सफ़ेद फूल दक्षिण कोरिया और लाल फूल उत्तर कोरिया को दर्शाते है|
अनुप्रिया रॉय ने अपने काम में पेड़ की शाखाओं को इंक पेंटिंग में दिखलाया पेड़ की एक कलाकृति को इंक पेंटिग से बना कर उन्होंने उसके अलग अलग हिस्से कर दर्शाया| उनका सन्देश था की एक बार जो टहनियां टूट जाती है वो वापस जुड़ नहीं सकती पर उन टूटे टहनियों को हर इंसान अपने नजरिये से देखता है हर कलाकार ने अपने काम के जरिये एकता का सन्देश दिया है