आर एम एल अस्पताल के डॉक्टर्स ने किया मुश्किल ऑपरेशन.घायल युवक के कटे हाथ को जोड़कर किया ठीक

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भारत चौहान नई दिल्ली, जवानी में जब रगों में खून उबाल मारता है, तो अक्सर नौजवान कुछ ऐसा कर गुजरते हैं, जो जीवन भर नासूर बनकर उनके साथ चिपक जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश का खुर्जा निवासी 19 वर्षीय कमल के साथ। कमल ने गुस्से में खिड़की के कांच पर हाथ मारा। जिससे कोहनी से निचे उसका दाएं हाथ लगभग 80 प्रतिशत तक कट गया। गनीमत रही कि वह समय रहते आरएमएल अस्पताल पहुंच गया, जहां प्लास्टीक सर्जनों ने करीब पंद्रह घंटे तक ऑपरेशन कर उसके हाथ में दोबारा जान डाल दी।

आरएमएल अस्पताल के प्लास्टीक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मनोज झा बताते हैं कि कमल 18 मार्च की रात करीब ढाई इमरजेंसी में आया। तब इसके दाएं हाथ में कोहनी के निचे हड्डी के अलावा खाल का केवल दस प्रतिशत हिस्सा ही जुड़ा हुआ था। तब तक हाथ को कटे हुए 12 घंटे का समय हो चुका था। ऐसे में प्लास्टीक सर्जरी विभाग के सीनियर रेजिडेंटों ने तत्काल इस हाथ को जोड़ने के लिए ऑपरेशन का प्लान बनाया जिसे बिच में वरिष्ठों ने ज्वाइन किया। उन्होंने करीब नौ घंटे तक औपरेशन कर हाथ को जोड़ा, लेकिन वह ऑपरेशन केवल पांच घंटे ही चल पाया। इसके बाद उनके नेतृत्व में दोबारा करीब छह घंटे ऑपरेशन किया गया। इसके बाद कमल का हाथ अब ठीक है। उनका कहना है कि अगले एक दो महीने में उससे सामान्य काम भी करने लगेगा।

चुनौती

डॉ. झा बताते हैं कि इसमें केवल दो मांसपेशियों को ही एक साथ नहीं जोड़ना था, बल्कि इसमें वेन और आर्टरी दोनों को भी जोड़ना था। वह बताते हैं कि पहले तो बिच से कट गए वेन (जो अशुद्ध् रक्त को ढोता है) को आपस में जोड़ा गया। वहीं मांसपेशियों में सेंशेसन देने वाले आर्टरी, जो कुछ ज्यादा कट गई थी को जोड़ने के लिए कटे हुए हाथ से ही वेन लिया गया। लेकिन पांच घंटे बाद जब यह जाम हो गया तो दोबारा पैर से वेन लेकर आर्टरी बनाई गई।

समय महत्वपूर्ण

डॉ. झा बताते हैं कि इस तरह से कटे हुए हाथ को अगर छह से सात घंटे के अंदर जोड़ दिया जाए तो ज्यादातर परिणाम सफल होते हैं। क्यों‌कि इसके बाद ऑक्सीजन की कमी से मांसपेशियां सिकुड़ने लगती है। इसमें खास बात यह है कि इसे लगभग दोगुणे समय के बाद भी सही तरह से जोड़ दिया गया। उनका कहना है कि उंगलियों के मामले में 24 घंटे मे भी ज्यादातर परिणाम सफल होते हैं।

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