सरकारी अस्पतालों में मेक इन इंडिया के तहत बड़ी योजना,देश में बानी मशीनों से होगी जाँच पीएम मोदी की सरकार जल्द लेकर आ रही है नई गाइडलाइन देश भर के सरकारी अस्पतालों में स्वदेशी मशीनों का होगा इस्तेमाल

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अस्पतालों में खादी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मेक इन इंडिया पर भी काम करने वाली है। जल्द ही देश भर के सरकारी अस्पतालों के लिए एक गाइडलाइन आने वाली है, जिसे बनाने का काम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की निगरानी में शुरू हो चुका है। पिछले महीने हुई बैठक में गाइडलाइन के प्रारुप पर तमाम निर्णय लिए जा चुके हैं। इसके लिए दिल्ली एम्स, सफदरजंग और आरएमएल के डॉक्टरों की विशेष कमेटी बनाई है। बताया जा रहा है कि गाइडलाइन आने के बाद अस्पतालों में भारतीय निर्मित मशीनों से मरीजों की जांच हो सकेगी। गाइडलाइन इस साल के अंत तक लागू हो सकती है।

डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक मरीजों की जांच चीन, जापान और कोरिया की मशीनों से की जाती है। अक्सर इन मशीनों में खराबी आने की वजह से लंबे समय तक इन्हें ठीक नहीं करवाया जाता। जिसके पीछे वजह मशीन के पार्ट आने में लगने वाला वक्त है। लेकिन अगर अस्पताल में भारत की किसी कंपनी की मशीन होगी तो उसे कम समय में आसानी से ठीक करवाया जा सकता है। डॉक्टरों की मानें तो एम्स से लेकर तमाम मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में खराब पड़ी मशीनों की हालत बेकार हो रही है।

ई-गर्वनेंस का करना होगा इस्तेमाल

सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार मेक इन इंडिया के साथ अस्पताल के लिए होने वाली तमाम खरीददारी को ई गर्वनेंस के तहत लाना चाहती है। इसलिए गाइडलाइन लागू होने के बाद सभी अस्पतालों के लिए ये नियम अनिवार्य रहेगा। ई गर्वनेंस के जरिए टेंडर दिया जाएगा और भारतीय मशीन निर्माता कंपनियां इसे उपलब्ध कराएंगी।

बॉक्स : क्यूसीआई से मांगी है जानकारी

कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि पिछले महीने हुई बैठक में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) से अस्पतालों और वहां इस्तेमाल मशीनों के बारे में जानकारी मांगी है। ताकि कमेटी के पास गाइडलाइन बनाने से पहले पर्याप्त आंकड़ें हों। बताया जा रहा है कि अगले महीने बोर्ड बैठक के बाद गाइडलाइन बनना शुरू होगा।

मेडिकल जांचों की गुणवत्ता में होगा सुधार

भारतीय मेडिकल डिवाइस एक कंपनी के सीईओ बताते हैं कि मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट से जहां न सिर्फ भारतीय कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मेडिकल जांचों की गुणवत्ता में भी असर देखने को मिलेगा। अक्सर चीन का माल सस्ता होने के कारण बाजार में ज्यादा बिकता है। लेकिन गुणवत्ता और उसकी अवधि लंबे समय तक नहीं टिकती। इसलिए उन्होंने सरकार की इस योजना को महत्वपूर्ण बताया।

पायलट प्रोजेक्ट में मिली कामयाबी

मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया कि केंद्र ने एम्स से मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी। जहां इस प्रोजेक्ट पर काफी कामयाबी मिली। डॉक्टरों ने भी स्वदेशी मशीनों की गुणवत्ता और उसके प्रभाव पर सकारात्मक टिप्पणियां दी हैं। जिसके बाद ही सरकार अब इसे देश भर में शुरू करने जा रही है।

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