दिल्ली पत्रिका की खास खबर दक्षिणी दिल्ली के द्वारका में युवा, किशोरों की तेजी से आंखें हो रही है खराब कारण: प्रदूषण, प्रदूषित पेयजल

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली देश में मोतियाबिंद और काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) जैसे लोग नेत्र विकृति का कारण बन रहे हैं। मामलों में तेजी को देखते हुए विशेषज्ञों ने इस आशय में चिंता व्यक्त की है। दक्षिणी पश्चिमी दिल्ल्ली संसदीय क्षेत्र द्वारका में रहने वाले युवाओं और टीनेजर्स की आंखे तेजी से खराब हो रही है। आकाश हेल्थकेयर द्वारा कराए गए एक स्क्रींिनग सव्रे में पाया गया कि प्रदूषण और दूषित पेयजल के सेवन से उन्हें एलर्जी की समस्या तो आम है लेकिन इसका असर उनकी दृष्टि विकृतियों पर पड़ रहा है। स्क्रीनिंग टीम के प्रमुख एवं नेत्र सर्जन डा. प्रशान्त चौधरी ने कहा कि इसमें 11 वर्ष से 19 साल, 20 से 25 और 26 से 40 वर्ष आयुवर्ग के तीन वर्ग बनाया गया था। जिसके तहत पाया गया कि बच्चों में मायोपिया (नजदीक-दूर दृिष्ट) संबंधी विकृतियों के 33 फीसद मामले पाए गए। ओपीडी बेस्ड इस सव्रे में करीब 5 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई। दूसरे वर्ग में चश्मा का नंबर बढ़ने की शिकायतें 15 से 18 फीसद ज्यादा मिली जबकि तीसरे वर्ग में मोतियाबिंद, काला मोतिया पाए जाने की पुष्टि 10 से 12 फीसद में हुई।
साइलेंट किलर है काला मोतियाबिंद :
डा. प्रशान्त ने बताया कि काला मोतियाबिन्द ग्लूकोमा एक सांइलेंट किलर है। यह समस्या अनुवांशिक (जेनेटिक) तौर पर भी प्रभावित करती है। इस बीमारी के इतिहास वाले परिवारों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। अगर पीड़ित व्यक्ति काला मोतियाबिन्द का समय पर उपचार करवाए तो इस बीमारी को काफी हदतक नियंत्रित किया जा सकता है। मरीजों को अंधेपन से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि नेत्र चिकित्सा क्षेत्र ने पहले के मुकाबले काफी तरक्की की है। जिससे जटिल रोगों के उपचार करना संभव हो गया है।
क्या है काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) :
ग्लूकोमा ऑप्टिक तंत्रिका के नुकासान के कारण होता है। इसके कारण प्रभावित व्यक्ति के दृश्य क्षेत्र में ब्लाइंड स्पॉट्स बनने शुरू हो जाते हैं। तंत्रिका क्षति आमतौर पर आंखों पर बढ़ते दबाव के कारण होता है। नेत्र दबाव एक तरल के निर्माण की वजह से होता है और आंखों से लगातार निकलता रहता है। यह द्रव आमतौर पर तरल आंख के लेंस और कॉर्निया के बीच बने कोण में एकत्र हो जाता है। जब द्रव अधिक होता है या द्रव निकासी पण्राली बाधित हो जाती है, तब दबाव बढ.ने लगता है। वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों में, आंखों का दबाव और ऑप्टिक तंत्रिका क्षति से संबंधित जीन की पहचान की है। ग्लूकोमा कई प्रकार के हो सकते हैं।
लक्षण :
– आंखों या माथे में तेज दर्द होना
– आंखें लाल होना
– दृष्टि का कमजोर या धुंधला होना
– रोशनी के चारों ओर रंग के छल्ले बने दिखना
– सिर दर्द
– जी मिचलाना
– उल्टी

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