आहार और स्वास्थ्य सुधार स्वास्थ्य विभाग सख्त -खाद्य सुरक्षा के तहत ट्रांस फैटी एसिड्स की सीमा नियंत्रित

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , भारतीयों के आहार और स्वास्थ्य सम्बंधी परिणामों में सुधार के लिये फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स (फूड प्रोडक्ट्स स्टैंर्डड्स एंड फूड एडिटिव्स) रेग्युलेशंस 2011 में इस संशोधन का प्रस्ताव दिया है कि सभी तेलों और वसाओं में ट्रांस-फैटी एसिड्स की सीमा जनवरी 2021 तक ‘3 प्रतिशत से अधिक न हो’ और जनवरी 2022 तक ‘2 प्रतिशत से अधिक न हो’। कई सिविल सोसायटी प्रतिनिधियों और कंज्यूमर एक्टिविस्ट्स ने इस संशोधन का स्वागत किया है और इसे वर्ष 2023 तक वि में औद्योगिक रूप से निर्मिंत ट्रांस-फैट खत्म करने के वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में ट्रांस-फैटी एसिड्स (ट्रांस फैट्स) के विनियमन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना है। एफएसएसएआई केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का स्वायत्त उपक्रम है।
सुरक्षित और अधिक पोषक खाद्य श्रंखला सुनिश्चित करने के लिये एफएसएसएआई की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हुए दिशा फाउंडेशन की निदेशक डा. अंजली बोरहादे ने कहा वर्ष 2023 तक शून्य ट्रांस फैट्स के डब्ल्यूएचओ के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में भारत ने सही समय पर कदम बढ़ाए हैं। अब देश भर में इन कानूनों का लागूकरण महत्वपूर्ण है। सिविल सोसायटी को एफएसएसएआई और स्टेट लेवल फूड अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम करना चाहिये, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उद्योग प्रस्तावित विनियमन का अनुपालन कर रहे हैं। हालांकि, प्रस्तावित विनियमन केवल वसा और तेलों के लिये है, भोजन के लिये नहीं, यह एक उल्लेखनीय अंतर है। डब्ल्यूएचओ का रिप्लेस एक्शन पैकेज उद्योग-निर्मिंत ट्रांस फैट खत्म करने के लिये सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों और नीतियों को परिभाषित करता है, क्योंकि इसमें सभी भोजनों में वसा और तेलों के लिये 2 प्रतिशत ट्रांस फैट की सीमा है। अपने वर्तमान रूप में भारतीय विनियमन केवल तेलों और वसा में ट्रांस फैट्स को सीमित करता है, सभी भोजनों में नहीं। इसलिये कुछ भोजन, खासतौर पर उच्च ट्रांस फैट्स वाले आयातित भोजन भारतीय बाजार में उपलब्ध होंगे।

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