ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, राजधानीवासियों के लिए खतरे की घंटी है और स्वास्थ्य एजेंसियों की निष्क्रियता से स्थिति आने वाले समय में खतरनाक हो सकती है। एडिज एजिप्टाई जनित मच्छरों के लार्वा का प्रकोप मध्यम गति से ही बढ़ता जा रहा है। मौसम की आद्र्रता में उमस है बावजूद इस बार घरों में डेंगू के लार्वा का प्रजनन पाया गया है। विशेषज्ञों का तर्क है कि इस साल दिल्ली में डेंगू का प्रकोप कम देखने को मिल सकता है। इसकी वजह घरों में डेंगू का लार्वा पिछले साल के मुकाबले कम मिलना माना जा सकता है। लेकिन इसे हम नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। वहीं पिछले साल के मुकाबले इस साल जांच भी ज्यादा घरों में की गई है। इसके चलते ही इस साल अभी तक डेंगू के मरीजों की तादाद कम है।
क्या कहती है रिपोर्ट:
जलजनित बीमारियों के संबंध में एमसीडी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 1 जून तक 15374 घरों में डेंगू को लार्वा, जबकि पिछले साल यह 24016 था। यानी 8642 ज्यादा घरों में पिछले साल लार्वा मिला था। इतना ही नहीं एमसीडी के डीबीसी कर्मचारियों ने जांच भी ज्यादा घरों में की है। पिछले साल जहां 1,16,37911 घरों की जांच की थी। इस साल यह जांच एक करोड़ 20 लाख 00421 घरों में की गई। कम जगहों पर लार्वा पाए जाने की वजह एमसीडी अधिकारियों ने जागरूकता अभियान बताया है। दूसरे चरण में उनका लक्ष्य खाली खंडर पड़े घरों और बन रहे नए निर्माण कार्य स्थल को लक्ष्य रखा गया है।
इस वर्ष अब तक 11 मरीज:
एसडीएमसी की रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा घरों की जांच और कम घरों में लार्वा पाए जाने का असर डेंगू के मरीजों की तादाद पर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। 1 जून तक 11 मरीज सामाने आए हैं। यह तादाद 2018 में 22 और 2017 में 40 थी। मलेरिया की बात की जाए तो इस साल 1 जून तक मलेरिया के 9 मरीज आए हैं, जबकि 2018 में 21 और 2017 में 30 थे। इसी तरह इस साल चिकनगुनिया के 5 मामले सामने आए हैं। 2018 में यह 13 और 2017 में 96 थे। पिछले एक सप्ताह में डेंगू और चिकनगुनिया का एक भी मामला सामने नहीं आया, जबकि मलेरिया का एक मामला आया है, उसका भी एड्रेस पता नहीं चल पाया है।