हषर्वर्धन ने स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार संभाला -पीएम-जेएवाई के क्रियान्वयन पर जोर -साईकिल से पहुंचे मंत्रालय और साइकिल से ही गए निवास

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , ईएनटी एक्सपर्ट डा. हषर्वर्धन ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पदभार संभाल लिया। वर्ष 2014 में भी उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन बाद में मंत्रालय जगत प्रकाश नड्डा को सौंप दिया गया था। चांदनी चौक लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए और दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेता हषर्वर्धन सुबह साइकिल से अपने दफ्तर पहुंचे और कार्यभार संभाला। साइकिल से निर्माण भवन स्थित अपने कार्यालय पहुंचे हषर्वर्धन ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के क्रियान्वयन को मजबूत करने की होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि देश के किसी भी कोने में रहने वाले व्यक्ति को इस योजना का लाभ मिले। उन्होंने कहा, पीएम-जेएवाई की शुरूआत से अभी तक 27 लाख लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। लेकिन अभी तक बहुत लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
दिल्ली समेत अन्य राज्य भी इस योजना में होंगे जल्द शामिल:
डा. हषर्वर्धन ने उम्मीद जताई और कहा कि नाभ (नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फार हास्पीटल एंड हेल्थकेयर) से मान्यता प्राप्त दिल्ली के अब तक सिर्फ आठ निजी अस्पताल आयुष्मान भारत से जुड़ सके है। मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली के गरीबों को इस सुविधा का लाभ देने के लिए आयुष्मान भारत से जुड़ने के लिए गंभीरता पूर्वक दबाव बनाउंगा।
दरअसल, दिल्ली उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जिसने आयुष्मान भारत से जुड़ने से इनकार दिया है। इस कारण दिल्ली के गरीबों को सालाना पांच लाख रु पये तक कैशलेस व मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। इसी कारण दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पताल भी इस योजना से नहीं जुड़े थे। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में सुपरस्पेशलियटी अस्पतालों का अभाव को देखते हुए नेशनल हेल्थ एजेंसी ने दिल्ली के निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत से जुड़ने की अपील की थी। दिल्ली के निजी अस्पतालों को आयुष्मान भारत के तहत भुगतान की कोई समस्या नहीं होगी।
जटिल पेंच:
दरअसल, इस योजना के तहत गरीबों के इलाज पर होने वाले खर्च का 60 फीसद राशि केंद्र सरकार और 40 फीसद राज्य सरकार वहन करती है। दिल्ली के निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत गरीबों के इलाज पर आने वाले खर्च का भुगतान संबंधित राज्य सरकारें करेंगी। यदि दिल्ली या फिर उत्तरप्रदेश के मरीज का इलाज हुआ कि भुगतान उसके खाते से होगा और यदि बिहार के मरीज का इलाज हुआ तो भुगतान बिहार के खाते से होगा।

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