नयी दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आज राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार से महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पारित कराने की मांग की वहीं कई महिला सदस्यों ने देश में महिलाओं विशेषकर बच्चियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाये जाने के लिए फौरी कदम उठाने का सुझाव दिया। उच्च सदन में आज महिला दिवस के अवसर पर एक अभूतपूर्व नजारा दिखा। पिछले तीन दिन से सदन में विभिन्न मुद्दों पर कायम गतिरोध को दरकिनार करते हुए सभी दलों ने लगभग एक घंटे तक महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा की। इसमें अधिकतर महिला सदस्यों ने भाग लियांिकतु कुछ पुरूष सदस्यों ने भी महिलाओं से जुडे मुद्दों पर अपनी राय रखी।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि महिलाओं की स्थिति में बदलाव के लिए सरकार प्रयासरत है। वह इस दिशा में लोगों खासकर महिलाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समुचित कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक के साथ ही राजनीतिक इच्छा शक्ति और उनके प्रशासनिक कौशल विकास पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
चर्चा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि वह भी इस विधेयक का पुरजोर समर्थन करती हैं और देश की महिलाओं ने बिना आरक्षण के भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं जिनसे माथा गर्व से ऊंचा हो जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे अहम पदों पर आसीन होने के अलावा लोकसभाध्यक्ष, कई राज्यों में मुख्यमंत्री और कई राजनीतिक दलों की अध्यक्ष भी महिलाएं रह चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं ने कई क्षेत्रों में पुरूषों के एकाधिकार को भी तोड दिया है। उन्होंने इस वम में पुलिस, सेना, वायुसेना, पायलट आदि क्षेत्रों का जिव किया और कहा कि महिलाएं अंतरिक्ष में जा रही हैं और कृत्रिम पैरों से एवरेस्ट की चढाई कर रही हैं। वे बाइक पर करतब भी दिखा रही हैं।
सुषमा ने कहा कि इन उपलब्धियों के बावजूद महिलाओं के साथ अन्याय और उनकी पीडाएं भी हैं जिनके कारण माथा शर्म से नीचे हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें यानी समाज के हर तबके को उस मानसिकता को तोडने की आवश्यकता है। हमें ऐसा संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं की पीडा को बर्दाश्त नहीं करें। उन्होंने कहा कि इसे एक आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए और सरकारी कार्यवम ही नहीं बने रहने देना चाहिए।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि देश ‘‘आंचल में दूध और आंखों में पानी’’ के दौर से काफी आगे निकल चुका है और परिवर्तन दिख रहा है। उन्होंने हालांकि कहा कि यह परिवर्तन वहां तक पहुंचाने की जरूरत है, जहां यह अभी तक नहीं पहुंच सका है।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसदीय कार्य राज्य मंत्री सदन की भावना से सरकार को अवगत करा देंगे।
चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे समाज में पिछले कुछ समय में एक ऐसींिचताजनक प्रवृत्ति पनपी है जिसे लेकर वह बहुत ही दुखी रहते हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी महिलाओं के प्रति अपराध होते थे।ंिकतु पिछले कुछ समय से तीन माह-छह माह तथा अन्य छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढना एक समाज के रूप हम सब के लिए बहुत ही शर्म की बात है। उन्होंने सरकार से लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए कहा। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की अंबिका सोनी ने भी महिला आरक्षण विधेयक संसद से पारित कराए जाने की मांग की और कहा कि हमें एक संकल्प पारित करना चाहिए कि हम इस आरक्षण के पक्ष में हैं। कांग्रेस की ही रेणुका चौधरी और कुमारी शैलजा ने भी महिला विधेयक को पारित कराने की मांग की। वहीं कांग्रेस की रजनी पाटिल ने महिलाओं को समान अवसर दिए जाने की जरूरत पर बल दिया।