दिल्ली पत्रिका एक्सक्लूसिव एलर्ट: 5 रुपये के पैरासिटामॉल के लिए कंपनियां वसूल रही हैं पांच गुना ज्यादा दाम! -औषध नियंत्रक विभाग ने उठाए 123 दवाओं के साल्ट के नमूने, प्रयोगशाला में की जा रही जांच -प्रतिबंधित दवा भी बेची जा रही है, स्वास्थ्य एजेंसियां अंकुश लगाने में विवश

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ज्ञानप्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली, बुखार में इस्तेमाल होने वाले एक्लोफिनैक और पैरासिटामॉल सॉल्ट की टैबलेट जेनेरिक में 5 रु पये 70 पैसे का है, ब्रांड के नाम पर कंपनियां उसके लिए 23-30 रु पये तक वसूल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग को ऐसी करीब 234 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई है। जिसमें उपभोक्ताओं ने आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि केंद्रीय मूल्य नियंतण्रप्राधिकरण(सीपीजीए) ने इन दवाओं की कीमतों और साल्ट की भी कीमतें तय कर दी है तो फिर वे किसकी कृपा से दवाएं कई फीसद अधिक कीमतों पर वसूल रही है। वे इन दवाओं की मरीज को कोई पुर्जा भी नहीं देते हैं। उनका कहना होता है कि चूंकि ये दवाएं ओवर द काउंटर ड्रग्स (ओटीसी) के श्रेणी में आती है, इसलिए इन दवाओं खरीदने के लिए किसी भी प्रकार के पुज्रे या फिर डाक्टरों के प्रिसक्रीप्सन की दरकार नहीं है।
स्वस्थ्य विभाग एलर्ट:
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि सरकार ने ऐसे दवा कंपनियों की सूची तैयार की है। औषध विभाग के एक्पर्ट्स की मदद से अब तक 123 दवाओं के साल्ट के नमूने उठाए गए हैं। जिन्हें जांच के लिए एनालेटिकल प्रयोगशाला में भेजा गया है। उम्मीद है जनवरी के पहले सप्ताह में इनके परिणाम आ जाएंगे। दोषी पाए जाने पर इनके खिलाफ औषध प्रसाधन अधिनियम 1940 के तहत दो चरणों में कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिसके तहत प्रतिबंधित साल्ट को किसी दूसरे ब्रांड के नाम पर बेचना और दूसरा दवाओं की कीमतें उपभोक्ताओं से अनाप सनाप वसूलना। इस वर्ष वैसे 45 दवा निर्माताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।
स्वास्थ्य नियंतण्रएजेंसियां बेदम:
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन केपूर्व महासचिव डा. नरेंद्र सैनी के अनुसार केंद्र सरकार ने जब पिछले दिनों 328 फिक्स डोज कंबीनेशन यानी एफडीसी दवाओं पर रोक लगाई है। तो इस पर काफी बवाल मचा। कुछ दवा निर्माता कंपनियां कोर्ट भी पहुंच गई और सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले ही सैरीडॉन समेत तीन दवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। एफडीसी वो दवाएं हैं जो दो या दो से अधिक दवाओं के अवयवों (सॉल्ट) को मिलाकर बनाई जाती हैं। ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। दूसरी तरफ, कंपनियां एफडीसी या अन्य ब्रांडेड दवाओं के लिए सामान्य से कहीं ज्यादा पैसे भी वसूलती हैं। सरकार इसके इसके इतर जन औषधि केंद्र के जरिये जेनेरिक दवाओं को प्रमोट करने में लगी है।
जेनेरिक दवाएं:
जेनेरिक यानी वो दवाइयां जो किसी ब्रांड की तो नहीं हैं, लेकिन सॉल्ट और फायदे ब्रांडेड जितने ही हैं, लेकिन जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों के दाम में जमीन-आसमान का अंतर है। मसलन बुखार में इस्तेमाल होने वाले एक्लोफिनैक और पैरासिटामॉल सॉल्ट की जो टैबलेट जेनेरिक में 5 रु पये 70 पैसे का है, ब्रांड के नाम पर कंपनियां उसके लिए 23-30 रु पये तक वसूल रही हैं इसी तरह एक्लोफिनैक के 3 रु पये 84 पैसे के टैबलेट के लिए 32.50 तक वसूला जा रहा है। कैंसर आदि की दवाओं की दरों में तो चार से पांच गुना ज्यादा का अंतर है। सरकार ने खुद जन औषधि केंद्र की वेबसाइट पर जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के दाम में अंतर की सूची जारी की है। लेकिन वास्तविकता में इनकी कीमतों में काफी अंतर है।

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