प्रधानमंत्री का फोकस जेनिरक दवाओं पर, डॉक्टर लिख रहे सिर्फ ब्रांडेड दवा – जेनिरक दवाएं जन औषध केंद्रों से हैं नदारद, मधुमेह रोगियों की दिक्कतें बढ़ी

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की बात कह रही है। उनसे जेनिरक दवाएं खरीदने के लिए कहा जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत देशभर में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं। लेकिन, मरीजों को कोई राहत नहीं मिल रही। वजह, न तो डॉक्टर दवा का जेनिरिक नाम लिख रहे न मरीज उनसे लिखने के लिए कह रहा। दूसरी दिक्कत यह कि इन केन्द्रों में दवाओं की संख्या 150 से भी कम है। सबसे ज्यादा दिक्कतें मधुमेह के मरीजों को हो रही है। पहले चरण में मधुमेह की गिरफ्त में आने वाले मरीजों को डाक्टर मधुमेह की एक एमजी की जबकि दूसरे चरण के मरीजों को दो एमजी की दवा हर दिन लेने की सलाह देता है। लेकिन इन औषध केंद्रों में इतनी एमजी की दवाएं बीते 5 से 6 माह से आपूर्ति ही नहीं की जा रही है। एक दवा की कीमत करीब 50 पैसे है। मरीजों की दिक्कतों का निवारण कब होगा फिलहाल इस मुद्दे पर कोई बोलने के लिए तैयार नहीं दिखा। एक अधिकारी ने कहा कि मधुमेह की 4 एमजी दवाएं तो खूब मिल रही है। अनुमान है कि राजधानी में करीब 18 लाख मधुमेह रोगी है जो किसी न किसी रूप में दवाएं व इंसूलिन पर निर्भर हैं। मधुमेह की दवाओं की कीमत इतनी ही एमजी की मार्डन केमिस्ट की दुकानों पर एक 2 एमजी की अंग्रेजी दवा की कीमत 5 रुपये यानी 12 दवाओं का एक पत्ता 60 रुपये तक है। लोगों का रुझान अब जेनेरिक दवाओं के सेवन करने के प्रति ज्यादा दिखा रहा है। उनका कहना है कि यदि दवा जेनेरिक की मिले तो 10 गोलियों का एक पत्ते की कीमत बमुश्किल से 5 से 10 रुपये तक है।
विभिन्न जन औषधि केंद्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हर दिन कम से 150 से 200 ऐसे नए मरीज अस्पतालों का ओपीडी कार्ड लेकर आते हैं जिन्हें 1एमजी की मधुमेह की दवा प्रेस्क्राइब्ड की रहती है। लेकिन हम उन्हें यह कहते हुए वापस कर देते हैं कि एक और दो एमजी की दवा की आपूर्ति आगे से नहीं हो रही है। अगले सप्ताह आना। पर जब वे अगले सप्ताह दोबारा आते हैं तो पुन: मायुसी ही हाथ लगती है। स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल ने कहा कि केंद्र सरकार दवाओं की आपूर्ति करती है। दवाएं वहां से ही नहीं आ रही है।
अन्य रोगियों की भी दिक्कतें बढ़ी:
पर्चे में लिखी सभी दवाएं नहीं मिलने से मरीज भी इन स्टोर्स में नहीं जा रहा है। बता दें मरीज यदि चाहे तो डॉक्टर से जेनिरक दवाएं लिखवा सकता है। इसका अधिकार उसे है। दिल्ली सरकार के गुरुतेग बहादुर अस्पताल में जनऔषधि केन्द्र के अधिकारी ने कहा कि कहा कि इस योजना के तहत 600 तरह की दवाओं की सप्लाई होनी थी, लेकिन इनकी संख्या 100 से 150 के बीच है। डॉक्टर ब्रांड का नाम लिखते हैं। मरीज के पच्रे में लिखी दवा को गूगल में डालकर उसका कंपोजीशन खोजना पड़ता है। ज्यादातर बीपी, डायबिटीज, दर्द निवारक, एंटी बायोटिक, एंटी एलर्जिक, लिवर, हार्ट, मल्टी विटामिन, नेजल व आई ड्राप जैसी दवाइयां का स्टाफ खत्म हो गया है। इनकी दवाएं ही खरीदने मरीज ही आते हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा दवाएं लगती हैं। अति वीआईपी क्षेत्र शास्त्री भवन और कृषि भवन में स्थित जनऔषधि केन्द्र तक में ये दवाएं नहीं हैं। एक अधिकारी ने बताया कि जनवरी में इस स्टोर की शुरूआत की गई थी तब कहा गया था कि 600 तरह की दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन, दवाओं की संख्या 150 से ऊपर नहीं पहुंच रही है। मार्के टिंग के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी कुछ नहीं बता रहे हैं।
बीस गुना तक कम होती है कीमत:
ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ (इंडिया) बीपीपीआई के निदेशक निकुंज बिहारी सारंगी ने बताया कि जेनिरक और ब्रांडेड दवा में सिर्फ नाम का फर्क होता है। दोनों दवाओं की गुणवत्ता एक जैसी होती है। दोनों तरह की दवाओं में एक ही तरह का कच्चा मेटेरियल उपयोग किया जाता है। दवाओं की गुणवत्ता की जांच भी की जाती है।
इसलिए नहीं खुल रहे नए केन्द्र:
योजना के तहत जन औषधि केन्द्र खोलने वाले को सरकार कुल बिक्री का 10 फीसद कमीशन दे रहे हैं। दवाएं कम होने के चलते बिक्री नहीं हो रही। इस वजह से हर केन्द्र संचालक को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस योजना के तहत शरीर के विभिन्न अंगों में लगने वाले इंप्लांट की भी बिक्री जानी थी, लेकिन उनकी सप्लाई नहीं हो रही है।
यह हैं दिक्कतें:
– मरीज को आधी दवाएं ही मिल पाती हैं, इसलिए वह दवा नहीं खरीदता।
– डॉक्टर ज्यादातर कांबीनेशन (जिसमे एक से ज्यादा दवाएं) ड्रग लिखते हैं, लेकिन पीएमबीजेपी में कांबीनेशन दवाएं नहीं हैं।
– डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिखने के साथ ही ऐसी राइटिंग लिखते हैं जो पास के मेडिकल वाला ही पढ़ पाता है।
– जन औषधि केन्द्रों की संख्या काफी कम है।
कौन सी दवा किस मर्ज के लिए:
दिल के मरीजों के लिए मोनोट्रेट टेबलेट, रक्तचाप के मरीजों के लिए टैल्मीसाटॅन, मेटप्लोल।

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