कोविड-19 एलर्ट -है राहत भरी खबर – स्वदेशी किट अब घंटों में नहीं मिनटों में देगी कोरोना वायरस पोजिटिव है या निगेटिव की जाँच रिपोर्ट!

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के स्वीकृति के बाद आईसीएमआर ने दिया उत्पादन के लिए आर्डर -हर दिन एक लाख से अधिक जांच किट बनाने का है लक्ष्य -न्यू लाईफ लेबोरेट्री को मिला यूपी सरकार से पहला आर्डर -सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के जरिए 200 किटों की आपूर्ति का मिला आर्डर

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, दुनियाभर में महामारी कोरोना वायरस के पहले चरण में पहचान करना अब भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है। जांच प्रक्रिया जटिल, महंगी और घंटों बाद संभावित परिणाम मिलते हैं, इस वजह से जब तक डाक्टरों को यह पता चल पाता है कि मरीज में कोविड-19 पोजिटिव है या निगेटिव है, तब तक काफी देर हो चुकी रहती है। दरअसल, नैदानिक जांच रिपोर्ट 7 से 8 घंटे तक का समय ले लेती है। लेकिन अब इस सुस्त जांचों से मुक्ति मिलेगी दरअसल, न्यू लाईफ लेबोरेट्री नामक स्वदेशी कंपनी ने ऐसे रैपिड किट तैयार की है जो सिर्फ 5 से 15 मिनट में कोरोना की जांच करने में सक्षम है। जांच का खर्च महज 500 रुपये तक अनुमानित है।
नू लाइफ कंसल्टेंट एंड डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डा. नदीम रहमान कहते हैं कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायोरालॉजी (एनआईवी) पूणोसे मंजूरी मिलने के बाद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने किट का उत्पादन करने की अनुमति प्रदान कर दी है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से उम्मीद है एक दो दिन में मंजूरी मिल जाएगी। पहले चरण में सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के जरिए 200 किटों की आपूर्ति उत्तर प्रदेश सरकार को की जाएगी। इस आश्य की पुष्टि करते हुए एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना वायरस संक्रमितों की पहचान करने के लिए 15 लाख किट का आर्डर देने की तैयारी रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में रैपिड किट बनाने वाली दो इकाईयां हैं। नोएडा की नू लाइफ और लखनऊ की वायोजेनिक्स। दोनों कोरोना के संक्रमण के पहले क्रियाशील नहीं थीं। एमएसएमई विभाग इसकी मदद कर रहा है। यूपी में बनने से काफी राहत मिलेगी। इसे अभी तक बाहर से मांगना पड़ता था। इसके दाम भी कम हो जाएंगे। प्रदेश में चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
किट की खास बातें:
-जांच रैपिड किट का प्रयोग करने वाले फिलहाल उत्तर प्रदेश पहला राज्य होगा। चूंकि यह जांच संदिग्ध के खून से होगी लिहाजा नतीजे कुछ मिनटों में ही आ जाएंगे। अभी यह जांच संदिग्ध के स्वब (थूक लार) से होती है। इसके नतीजे सात-आठ घंटे में मिलते हैं। रैपिड किट से जांच में रोग का जल्दी पता लगने पर शुरु आती अवस्था में संक्रमण का इलाज प्रभावी होगा।
– रैपिड किट से जांच का समय उसकी गुणवत्ता पर अधारित होता है। कुछ 15 मिनट और कुछ 5 मिनट में जांच कर सकती हैं। इसकी जांच में 100 से 500 के बीच में होती है। यह भी स्टैंर्डड पर आधारित है। यह हॉट-स्पाट इलाके में लार्ज स्केल स्क्रीनिंग में काफी मददगार साबित हो सकती है।
-शरीर में किसी तरह का संक्रमण होने पर उसमें एंटीबॉडीज विकसित होती है। इसकी जांच के लिए जो खून लिया जाता है उसके सीरम को एलाइजा किट पर जांच के लिए डाला जाता है। संक्रमण की स्थिति में इसका रंग बदल जाता है। जांच के नतीजे जल्दी आ जाते हं।

जर्मनी की तर्ज पर पूल टेस्टिंग करने वाला यूपी देश का पहला राज्य:
डा. रहमान खान ने दावा किया कि अब यह देश की पहली कंपनी बन गई है, जो कोरोना के लिए रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट किट का निर्माण शुरू कर रही है। कंपनी तीन लैब सेक्टर 7 स्थित डी-5, डी-18, डी-22 में मौजूद है प्रत्येक लैब में 45 से 50 डाक्टर काम कर रहे हैं। हलांकि इसके लिए शासन व प्रशासन से सहयोग मांगा है। अनुमति मिलते ही अगले सप्ताह से रोज एक लाख किट का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। इस कार्य में डा. शालिनी शर्मा, डा. शालू, डा. अफीफा, डा. जहीर अहमद और डा. अब्बास की टीम काम कर रही है।
आशा की नई किरण:
डा. खान ने बताया कि यह एंटीबॉडी टेस्ट किट है जो बहुत कम समय में रिजल्ट देती है यह किट बनाने का मकसद कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट करना और इसे कास्ट इफेक्टिव बनाना था यही वजह रही कि हम लोगों ने इस किट को महज 500 रुपये में आम आदमी तक पहुंचाने है। बुरे वक्त में हम लोगों की स्किल और हमारी मेहनत देश के काम आ रही है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
बेहतरीन पहल, जीवन बचाएगी:
वरिष्ठ पत्रकार एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तारिक नासिर कहते हैं कि इस विधि के प्रचलन से मरीजों को बेवजह के टेस्ट कराने से मुक्ति मिलेगी। अब तक कोविड है कि नहीं सिर्फ यही जानने के लिए घंटों और कई मामलों में तो कई दिनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसे अविष्कार कह सकते हैं, जो भारतीयों को अत्यंत सस्ती दर पर सहजता से मिलेगी।

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