नरेला क्वारंटीन सेंटर में जांबाजो के जज्बे को सलाम! -भारतीय सेना के डाक्टरों ने आइसोलेशन में रह रहे जमातियों के मन में हिंसा की जगह धैर्य, सौहार्द बिखेरा

अपने विनम्र व्यवहार से लोगों का वे जीत रहे हैं दिल -सेंटर में निजामुद्दीन मरकज के 932 लोग हैं जिनमें 367 कोरोना पॉजिटिव हैं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, जो राउंड द क्लाक सरहद की सुरक्षा करने में सर्दी हो, या गर्मी या फिर बरसात या तुफानी रात हर पल मुस्तैद रहने वाले अब वैिक महामारी कोरोना संक्रमितों का जीवन बचाने में जुटे हैं। उनकी सूझबूझ का लोहा यहां नरेला और तुगलका बाद स्थित कोरांटाइन सेंटर में ड्य्टी देने वाले संदिग्धों के परिजन भी मान रहे हैं। दरअसल, हिंसक रूप लेने वाले थोड़ी से बात को लेकर तुरंत गाली गलौच करने और सिर फुटौअल पर उतारु मरकज के आने वाले तब्लीगी जमातियों के मन में हिंसा की जगह अब धैर्य, शालीनता का भाव भरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस कार्य में उन्हें सफलता भी मिल रही है।
नरेला में बने क्वारंटीन सेंटर में सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक पूरी जिम्मेदारी भारतीय सेना की टीम संभाल रही है। यहां भारतीय सेना की 40 लोगों की टीम तैनात है जिसमें छह डॉक्टर हैं। सेना ने कहा कि यहां आइसोलेशन में रखे गए लोगों का पूरा सहयोग सेना की मेडिकल टीम को मिल रहा है। नरेला सेंटर में निजामुद्दीन स्थित मरकज आने वाले तब्लीगी जमात के जलसे में शामिल 932 लोग हैं जिनमें से 367 कोरोना पॉजिटिव हैं। सेना की मेडिकल टीम के सीएमओ डा. आरएस सिंह कहते हैं कि यहां पर हमें हर स्तर पर मरीजों का जीवन बचाना है, वे हिंसक हो सकते हैं, यह हम जानते हैं ऐसा उन्होंने दर्जनों दफा हमारेस्टाफ दूसरी पालियों के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ किया है। बावजूद इसके हमने हर बार उनकी काउंसिलिंग की अब उनके व्यवहार में बदलाव आने लगा है। वे सहयोग कर रहे हैं।
भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि सेना की मेडिकल टीम को यहां पूरा सहयोग मिल रहा है। यहां आइसोलेशन में रह रहे लोग भी मेडिकल टीम को पूरा सहयोग कर रहे हैं और इनका रवैया सकारात्मक है। इससे सेंटर सही से संचालित करने में मदद मिल रही है। भारतीय सेना की टीम ने भी यहां आइसोलेशन में रह रहे लोगों का दिल जीत लिया है।
सेंटर देश के सबसे बड़े सेंटर में एक हैं। यह मिड मार्च में दिल्ली सरकार ने शुरू किया जिसमें शुरू में मित्र देशों से आने वाले 250 विदेशी नागरिकों को रखा गया। बाद में निजामुद्दीन मकरज के 1000 से अधिक लोगों को इस सेंटर पर रखा। यहां मदद के लिए भारतीय सेना के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की टीम मांगी गई और 1 अप्रैल को सेना यहां तब से सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की मदद कर रही है। 16 अप्रैल को सेना के डॉक्टरों और र्नसंिग स्टाफ ने यहां काम को टेकओवर कर लिया जो सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक क्वारंटीन सेंटर की पूरी जिम्मेदारी देख रहे हैं। यहां भारतीय सेना के 40 लोगों की टीम है जिसमें 6 डॉक्टर हैं। 18 पैरामेडिकल स्टाफ भी यहां काम देख रहे हैं।

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