एंटीबाडीज से दूर भागेगा कोरोना, तीन भारतीय कंपनियां बना रहीं ऐसी दवाएं

आईसीएमआर के वैज्ञानिक असरदार सप्लीमेंट्स के रूप में देख रहे हैं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, भारत की कम से कम तीन कंपनियों ने कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी दवाएं बनानी शुरू कर दी हैं। इनके जरिए, कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शरीर में ऐंटीबॉडीज डिलीवर की जाएंगी। भारत सीरम्स, इन्टास फार्मा और बायोलॉजिकल ई ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधानपरिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर इस थिरेपी पर काम शुरू किया है। एंटीबॉडीज शरीर में फस्र्ट लाइन ऑफ डिफेंस की तरह काम करती हैं। जैसे ही कोई वायरस पैथोजेन हमला करता है, इम्युन सिस्टम एंटीबॉडीज बनाने लगता है। फिलहाल जो दवाएं कोरोना के इलाज में यूज हो रही हैं, वे मरीजों में केवल वायरल काउंट कम करती हैं। जबकि एंटीबॉडीज वैक्सीन की तरह होती हैं। न सिर्फ वे एंटीवायरल होती हैं, बल्कि इन्फेक्शन से कुछ वक्त के लिए इम्युनिटी भी देती हैं।
ट्रायल हो चुके, नतीजों का इंतजार:
आईसीएमआर के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव के अनुसार अहमदाबाद की इन्टास ने उन मरीजों के खून से एंटीबॉडीज निकालने की योजना बनाई है जो ठीक हो चुके हैं। कंपनी ऐसी दवा बनाएगी जो सभी ब्लड ग्रुप के कोरोना मरीजों को दी जा सकेगी। कंपनी ने मॉडरेट मरीजों पर ट्रायल शुरू कर दिया था और रिजल्ट्स का इंतजार कर रही है। भारत सीरम्स घोड़ों के एंटीसेरा का इस्तेमाल कर एंटीबॉडीज बनाएगी। यह तरीका रेबीसज और डिप्थीरिया की वैक्सीन बनाने में भी यूज होता है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले महीने तक उसके ट्रायल के नतीजे आ जाएंगे।
ट्रंप को दिया गया था एंटीबॉडीज का कॉकटेल:
पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना संक्रमित हुए थे। उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल में रेजेनरॉन का एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया। रेजेनरॉन के को-फाउंडर, अध्यक्ष और चीफ साइंटिफिक ऑफिसर जॉर्ज यानकॉपुलस के अनुसार हमने एक यूनिक एंटी-वायरल एंटीबॉडी कॉकटेल बनाया जो इन्फेक्शन रोकने और इलाज करने की क्षमता रखता है। साथ ही वायरस को फैलने से रोक सकता है। इसके अलावा अमेरिका की ही एक बायोटेक कंपनी सैब थैरोपेटिक्स ने गायों के शरीर में ऐंटीबॉडीज डेवलप की हैं। कंपनी का दावा है कि एक गाय हर महीने इतनी एंटीबॉडीज बना सकती है जिससे सैकड़ों लोगों का इलाज हो सकता है।

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