सुविधा जस की तस: अस्पतालों में ठंड और प्रदूषण ने बढ़ाए 50 फीसद मरीज! -ठंड और वायु प्रदूषण से हृदय, ब्रेन अटैक में दो फीसद बृद्धि -5 साल से कम और 50 साल से ज्यादा उम्र के मरीज -डेंगू, निमोनिया, अस्थमा, ठंड, जुकाम के मरीज डॉक्टरों पर हावी

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ज्ञानप्रकाश के साथ भारत चौहान
नई दिल्ली,राजधानीवासियों को अब यहां की आवो हवा रास नहीं आ रही है। अधिकारिक आंकडों पर यदि गौर किया जाए तो दिल्ली में रह रहे अनिवासी भारतीय और विदेशी मेहमान में कम से कम 12 फीसद तक अपने नेटिव प्लेस विंटर वैकेशन्स पर गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने हालांकि यह तर्क दिया कि यह वैकेंशन्स उनका हर साल 15 दिसम्बर से 15 जनवरी के मध्य रहता है। लेकिन इस बार वायु प्रदूषण और तेज ठंड की वजह से इनमें 8 से फीसद से बढ़कर 12 फीसद तक दर्ज किया गया है।

मरीज ही नहीं डाक्टर भी हो रहे बीमार:
दिल्ली में जहर फैलाती हवा और कहर बरपाती ठंड ने अस्पतालों में मरीजों की लाइन को और लंबा कर दिया है। इससे न खुद मरीज परेशान हो रहे हैं बल्कि डॉक्टरों को भी पहले के मुकाबले खासी मेहनत करनी पड़ रही है। अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टरों का मानना है कि ठिठुरन भरी ठंड और आंखों में जलन, घुटन भरी जहरीली हवा ने अस्पतालों में मरीजों की संख्या को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। इनमें दो कैटेगरी के पेशंट्स ज्यादा है। पहला पांच साल से कम और दूसरा 50 साल से अधिक। इन दोनों कैटेगरी के पेशंट्स की संख्या काफी ज्यादा है। इनमें से कुछ को अस्थमा की परेशानी है तो कुछ को सर्दी, जुकाम, बुखार, बॉडी पेन जैसी परेशानी हो रही है। ठंड और पलूशन का डबल अटैक यानी हृदय और ब्रेन हेमरेज के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है। मोरचरी हाउसों में ऐसे मरीजों का फीसद ज्यादा दर्ज किया गया है जिनकी ठंड, वायु प्रदूषण उन वजहों में से एक है जो उनकी गंभीर बीमारी के साथ ही मृत्यु की वजहें बन रही है।
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेंद्र शर्मा के अनुसार पिछले लगभग एक हफ्ते से अस्पताल पर मरीजों का बोझ बढ़ गया है। न्यू बॉर्न बेबीज और पांच साल से कम उम्र के बच्चे पलूशन और ठंड दोनों के शिकार हो रहे हैं और पलूशन के कण बॉडी में जाने की वजह से कई बच्चों को निमोनिया भी हो रहा है। वहीं 50 साल से ऊपर के अधिकतर लोग अस्थमा और सांस में परेशानी से अस्पाल की इमरजेंसी में पहंच रहे हैं। साथ ही कुछ नए मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें सांस में लेने परेशानी के साथ ही जुकाम भी हो रहा है। ऐसे में वह खुद ही परेशान हो जाता है लेकिन इन सब पर खास बात यह है कि मरीज तो बढ़ रहे हैं। कुछ डाक्टरों ने कहा कि जिस हिसाब से मौसमी बीमारों की संख्या बढ़ रही है उसके मुताबिक बिस्तरों और दवाओं की आपूर्ति नहीं की गई है। डीडीयू हास्पिटल में दवा न मिलने से मरीजों ने हंगामा किया। डॉक्टर्स के मुताबिक जितनी दवाएं पहले मंगवाई जा रही थीं, उतनी ही दवाएं और अन्य चीजें आज भी मंगवाई जा रही हैं। मरीजों के बढ़ने के बावजूद न तो दवाएं बढ़ रही हैं और न ही सुविधाएं। वहीं गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल की डा. विमल कुमार के अनुसार डबल अटैक के कारण मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। जहां कुछ समय पहले तक नेब्यूलाइजर मशीन फ्री रहती थी, वहीं अब नेब्यूलाइजर मशीन को राहत नहीं मिल पाती है। हम अपनी तरफ से मरीजों को पूरा ट्रीटमेंट दे रहे हैं और दवाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं। मरीजों को हर दो से तीन दिन बाद अस्पताल आना पड़ रहा है जिससे वह खुद ही परेशान हो जाते हैं।

लाइनें लंबी है, स्टाफ वही है, लंच भी नसीब नहीं:
अस्पताल में लाइनें पिछले कुछ दिनों के मुकाबले काफी लंबी हो गई हैं लेकिन स्टाफ वही का वही है। पर्ची बनाने वाली लाइन से लेकर ओपीडी, दवाओं की लाइन बेहद लंबी हो चुकी हैं। अस्पताल में स्टाफ की कमी के चलते यहां स्टाफ नहीं बढ़ाया जा रहा है।

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