नागरिकता संशोधन विधेयक ने उल्फा को ‘नया जीवन’ दिया: डीजी पुलिस

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भारत चौहान, नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के केंद्र के कदम के खिलाफ बढती आम नाराजगी ने प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को ’नया जीवन’ दे दिया है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि उल्फा ने पिछले दो महीनों में आठवें युवा की भर्ती की है। असम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। असम पुलिस के महानिदेशक (विशेष शाखा) पल्लव भट्टाचार्य ने कहा कि पुलिस ने आठ युवाओं के एक और समूह की भर्ती की उल्फा की योजना को विफल कर दिया है। पांच जिलों के कई लोग इस प्रतिबंधित संगठन की ओर अग्रसर हुये हैं। उन्होंने बताया, ’एक सितंबर से, आठ युवा उल्फा में शामिल हो गए हैं, और भय है कि आठ अन्य लोग इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं।’ 1986-बैच आईपीएस अधिकारी ने कहा कि ब्रrापुत्र घाटी में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ सशक्त आम भावना ने उल्फा को ’जीवन दान’’ दिया है, जो दावा कर रहा है कि यह विधेयक ’स्थानीय लोगों के अस्तित्व को चुनौती’’ है। भट्टाचार्य ने कहा कि अखिल असम छात्र संघ की डेरागांव इकाई के नेता पंकज प्रतिम दत्ता हाल ही में उल्फा में शामिल हो गए जो कि एक बहुत ही परेशान करने वाला ’संकेत’ है। नागरिकता विधेयक, 1955 में प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों -ंिहदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के उन लोगों को नागरिकता दी जायेगी जो उचित दस्तावेज के बिना भारत में 12 के बजाए छह साल से रह रहे हैं। पूर्वोत्तर में लोगों और संगठनों के एक बड़े वर्ग ने विधेयक का विरोध करते हुये कहा है कि यह 1985 के असम समझौते के प्रावधानों को खत्म कर देगा, जिसने 24 मार्च 1971 को धर्म को अनदेखा करते हुये सभी अवैध ढंग से आने वालों के निर्वासन की अंतिम तारीख के रूप में तय किया था। डीजीपी (एसबी) ने कहा कि पुलिस उल्फा के तिनसुकिया, ड्रिब्रूगढ, शिबसागर, गोलाघाट और उदालगुड़ी जिलों से युवाओं को आकषिर्त करने के प्रयासों पर सख्ती के साथ सतर्कता बरत रही है। एक नवंबर को तिनसुकिया जिले में संदिग्ध उल्फा उग्रवादियों ने पांच बंगालींिहदुओं की हत्या कर दी थी। विधेयक की जांच करने वाली संयुक्त संसद समिति के अध्यक्ष और मेरठ के भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि पैनल संभवत: संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। उन्होंने कहा, ’यह वर्तमान लोकसभा का अंतिम सत्र होगा। अगर हम रिपोर्ट जमा नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ यह होगा कि हमने अपने कर्तव्यों को ठीक से पूरा नहीं किया।’ असम विधेयक के खिलाफ जनविरोधी भावना और उल्फा के स्थिति का फायदा उठाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह राज्य में ’अलग विचारों’ के बारे में अवगत थे। उन्होंने कहा, ’हम सभींिचताओं को समायोजित करने की कोशिश करेंगे।’ आसू के मुख्य सलाहकार समुज्ज्ल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि असम के लोगों का मानना ??है कि विधेयक को राष्ट्रीय नागरिक पंजी की प्रक्रिया को ’बेपटरी’ करने के लिए लाया गया है। वर्तमान में इस पंजी को अद्यतन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ’विधेयक के खिलाफ सख्त नाराजगी है। लोग महसूस करते हैं कि यह पंजी को पटरी से उतारने की साजिश है।’

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