एम्स में मनाया अपना 63वां स्थापना दिवस

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनी कुमार चौबे ने चिकित्सा वैज्ञानिकों के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सिग स्टाफ से मरीजों के साथ मानवता पूर्ण व्यवहार करने की अपील की और कहा कि उनके इस पहल से दर्द से कराहते मरीज को संजीवनी बूटी की तरह राहत मिल सकती है। श्री चौबे मंगलवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान एवं चिकित्सा संस्थान (एम्स) के 63वें स्थापना दिवस समारोह में उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। श्री चौबे ने कहा की एम्स के वैज्ञानिकों की गुणवत्तापूर्ण असरदार स्वास्थ्य सेवाओं और दक्षता का लोहा दुनिया के वैज्ञानिक मानते हैं। यही आस्था बेसक वह मरीज उड़िसा, कन्या कुमारी के सुदूर गांव से इलाज के लिए यहां आता है, उसे रहती है। मरीज यह जानता है कि एम्स उनके मर्ज की सबसे असरदार दवा है। यहां के डाक्टर भगवान से कम नहीं है, यही कारण है वे यहां लंबी दूरी दर्द में रहते हुए आकर इलाज कराने आते हैं। इस दिन एम्स में स्नातक शिक्षण की शुरुआत की गयी थी और पहला बैच-एमबीबीएस कक्षाएं 1956 में आयोजित किया गया।
एम्स के पूर्व डीन एवं मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. जेएस गुलेरिया विशिष्ट अतिथि रहे। एम्स, दिल्ली के निदेशक डा. रनदीप गुलेरिया ने अतिथियों का स्वागत किया। फैकल्टी सदस्यों, छात्रों और कर्मचारियों ने 63 साल पूरे होने पर संस्थान की उपलब्धियों को बताया। इस अवसर पर फैकल्टी के 14 सदस्यों को रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड से और मेडिकल एवं पैरामेडिकल के 30छात्रों को अकादमिक सम्मान/पदक दिये गए।
एम्स के पूर्व छात्र डा. शजी के. कुमार ने ‘मल्टीपल माईलोमा: ए जर्नी फ्रोम ऑब्सक्युरिटी टू द फ्रंटलाइंस वॉज ऑन कैंसर’ पर ऐम्स गोल्डन जुबली व्याख्यान दिया। इस मौके पर ‘नेक्स्ट जनरेशन हेल्थ केयर’ पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में सभी विभागों ने भविष्य के स्वास्थ्य पर पोस्टर और वीडियो को दिखाया। यह प्रदर्शनी 30 सितंबर तक आम लोगों के लिए भी खुली रहेगी। ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ अभियान का प्रचार करने के लिए एक मानव श्रृंखला बनाकर का संदेश और नारा दिया गया।

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