सीएए और एनपीआर भारतीय नागरिकों का मान सम्मान बढ़ाने वाला सशक्त पहल: पवार -विरोध करने वाले भारत के नागरिक नहीं हो सकते, यह तो भारतीयों के हितार्थ है

0
477

ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदशर्न हो रहे हैं। इसकी शुरु आत पूर्वोत्तर भारत के असम से हुई। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिर्वसटिी, दिल्ली की जामिया यूनिर्वसटिी में भी जबरदस्त प्रदशर्न हुए। जामिया विविद्यालय में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सोमवार को सड़क पर सियासत के साथ छात्रों का संघर्ष जारी रहा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठीं जबकि प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विशाल पैदल मार्च निकाला। वहीं, दस से अधिक बड़े संस्थानों में प्रदशर्न हुए।
इसमुद्दे पर हरियाणा सरकार मंत्रिमंडल के पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं वर्तमान में जनकपुरी विधानसभा क्षेत्र के स्टार प्रचारक के रूप में शिरकत कर रहे कृष्ण लाल पवार से हुई दिल्ली पत्रिका के प्रतिनिधि से एनआरसी और सीएए जैसे देशहित में लिए गए केंद्र सरकार के निर्भीक निर्णयों पर बेबाक बातचीत के प्रमुख अंश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश भर में हो रहे हिंसक प्रदशर्नों को दुर्भाग्यपूर्ण एवं बेहद निराशाजनक करार दे चुके हैं। नागरिकता कानून से किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने लोगों से अफवाह फैलाने वालों से दूर रहने और निहित स्वार्थी तत्वों को समाज को बांटने नहीं देने की अपील की। लखनऊ के दारूल उलूम नदवतुल उलेमा कॉलेज में छात्र-पुलिस में झड़प हुई। ईट-पत्थर फेंके गए। मऊ में दर्जन भर बाइकें फूंकीं, थाने में तोड़फोड़ की। धारा 144 लागू कर इंटरनेट ठप की गई। प्रदशर्न को देखते हुए यूपी सरकार ने सभी डीएम-एसपी की छुट्टियां रद्द कर दी गई।
-नागरिकता संशोधन कानून में क्या है खास?
1- संसद में पास होने और राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून बन गया है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिंक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को इसके तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
2 – ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।
3. अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्यथा। नए कानून में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।
4. यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।
5. ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को मिलेगा। पर उन्हें सुना भी जाएगा।
6- नागरिकता संशोधन कानून के चलते जो विरोध की आवाज उठी उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टयिां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
-पूर्वोत्तर में क्यों हो रहा है विरोध
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस कानून विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि यहां कथित तौर पर पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से बसे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवंबर को सदन को बताया था कि उनकी सरकार दो अलग-अलग नागरिकता संबंधित पहलुओं को लागू करने जा रही है, एक सीएए और दूसरा पूरे देश में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी के नाम से जाना जाता है।
7. नागरिकता संशोधन कानून बनाने के बाद अब मोदी सरकार की नजर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स ऑफ इंडिया देश भर में लागू करवाने पर है। वर्तमान में सिर्फ असम में लागू है। सरकारी अवैध लोगों की पहचान के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करना चाहती है। सरकार ने कहा कि इसमें सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों को शामिल किया जाएगा। असम में एनआरसी मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है। असम में की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई थी।
असम में में उन लोगों के नाम शामिल किए गए, जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
-सीएए और एनआरसी में अंतर
इन दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनआरसी धर्म के आधार पर नहीं हुई थी। वहीं नागरिक संशोधन कानून में गैर मुस्लिम (छह प्रमुख धर्म) के लोगों को जगह दी गई है। इन अहम् मुद्दों में बातचीत के दौरान पूर्व मंत्री पवार जी के साथ मौजूद थे भाजपा पश्चिमी दिल्ली जिला कार्यकारिणी मिलाप नगर – जनकपुरी के उपाध्यक्ष राजवीर सिंह अहलावत।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here