देश में करीब 8.10 करोड़ हृदय संबंधी रोगों की गिरफ्त में -अध्ययन में हुआ खुलासा

विश्व हृदय दिवस पर कार्डियलॉजिस्ट बोले, जीवनशैली रोगों के उपचार की नीतियों पर फोकस करने की है दरकार

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , देश में ही नहीं वरन् सात समुंद्र पार रहने वाले विदेश में भी अब पहले के मुकाबले अधिक मरीज़ कोरोनरी आर्टरी रोग एवं हार्ट अटैक का शिकार बन रहे हैं। ताज़ा आंकड़ों से न सिर्फ इन तथ्यों की पुष्टि हो रही है बल्कि यह भी सामने आया है कि अब 40 साल से कम उम्र के लोगों में ज्यादा हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के 68वें वार्षिक वैज्ञानिक सत्र में कुल-मिलाकर युवावस्था में हार्ट अटैक से पीड़ित मरीजों पर किए अध्ययन के अनुसार, 5 में से 1 मरीज़ 40 वर्ष या इससे भी कम उम्र का होता है। इसके अलावा, 16 वर्ष तक चले अध्ययन (2000 से 2016 तक) के मुताबिक काफी कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षो में हर साल 2 फीसद की दर से इनमें बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
वि हृदय दिवस के मौके पर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध डा. गोविंन्द बल्लभ पंत अस्पताल में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डा. विजय त्रेहन ने कहा कि इसके साथ ही, यह भी देखा गया है कि 40 के बाद की उम्र में हार्ट अटैक से घिरने वाले मरीजों की तुलना में, औसतन 10 साल कम उम्र के मरीजों में भी उतना ही जटिल परिणाम सामने आ रहा है, यहां तक कि दूसरे हार्ट अटैके, स्ट्रोक या अन्य किसी वजह से मौत भी हो जाती है। इस तरह के हार्ट अटैक के अधिकांश मामलों में, जीवनशैली में जबर्दस्त तरीके से बदलाव लाकर, जोखिम के अन्य कारकों का प्रबंधन तथा रोग का शीघ्र निदान कर कमी लायी जा सकती है। मैक्स कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार ने काह कि आजकल हृदय रोग एक महत्वपूर्ण जोखिम के साथ युवा पीढ़ी के बीच अधिक बढ़ता जा रहा है। 1990 से 2016 के बीच हृदयरोग और स्ट्रोक का जोखिम भी 50 फीसदी बढ़ा है। युवाओं की अधिक से अधिक संख्या कोरोनरी आर्टरी डिजीज से पीड़ित है, और अगर यह जारी रहता तो भविष्य भी अधिक खतरनाक लग रहा है। यह समस्या इतनी आम हो चुकी है की हर परिवार में कोई न कोई सदस्य हृदय रोग से ग्रस्त है।
युवा तेजी से आ रहे हैं गिरफ्त में:
कालरा हार्ट सेंटर एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. आरएन कालरा ने बताया कि पांच साल पहले, हमे शायद ही हृदय की समस्याओं के साथ युवा रोगी देखने को मिलते थे। लेकिन अब, हम •यादातर 25-35 की आयु वाले लोगों में हृदय रोग के मामले डायगनोज कर रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, 70 प्रतिशत से अधिक भारत की शहरी आबादी कुछ या अन्य हृदय रोग होने के खतरे में है। ऐसा मुख्य रूप से अस्वस्थ खाने की आदतों, शारीरिक गतिविधि की कमी और तनाव के कारण है। हृदय रोग, दुनिया में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है, और ह्रदय रोगों के कारण हर साल किसी और रोग की तुलना में अधिक मौतें होती हैं। इसीलिए यह बेहद जरूरी है की हम अपने हृदय की सेहत का ख्याल रखे और स्वस्थ जीवन व्यतीत करे। देश में लगभग 8.10 करोड़ लोग हृदय से संबंधित किसी न किसी रोग से पीड़ित हैं और इस रोग के कारण हर 10 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इससे प्रति दिन लगभग 9 हजार मौतें होती हैं और प्रति वर्ष लगभग 30 लाख मौतें होती हैं। इन आंकड़ों के अनुसार देखा जाए तो कार्डियोलॉजी विज्ञान विफल हो रहा है।
जीवनशैली से संबंधित बीमारियां उपचार हो केंद्रित:
साओल हार्ट सेंटर के निदेशक डा. बिमल छाजेड़ ने बताया कि हृदय संबंधी बीमारियां जीवनशैली से संबंधित बीमारियां हैं और इसलिए उपचार को भी उसी दिशा में केंद्रित किया जाना चाहिए। डा. छाजेड़ ने दावा किया कि मैंने पिछले 24 सालों में जीवनशैली में बदलाव यूएस एफडीए अनुमोदित ईईसीपी और आयुर्वेद, होम्योपैथी नेचुरोपैथी व डीटॉक्सीफिकेशन जैसे नॉन इनवेसिव उपचारों से लगभग 2 लाख हृदय रोगियों का इलाज किया है। साओल सेफटी सर्कल के विकास के साथ जो हृदय स्वास्थ्य का सबसे अच्छा इंडीकेटर है। हृदय के संभावित रोगों के रोकथाम में मदद मिली है। इसके तीन सर्कल हैं और नियंतण्रके लिए 12 कारक मेडिकल से संबंधित 6 पैरामीटर और 4 पैरामीटर हेल्दी डाइट और जीवनशैली में बदलावों से संबंधित हैं।

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