जनविरोधी और छात्रविरोधी बिल हमें स्वीकार्य नहींः डॉक्टरों की महापंचायत का फैसला ​​आईएमए ने पीएससी रिपोर्ट को खारिज किया, अनिश्चितकालीन स्ट्राइक का एलान

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भारत चौहान नई दिल्ली, एनएमसी विधेयक पर चर्चा के साथ, डॉक्टर महापंचायत में कार्रवाई का फैसला किया।देशभर के 25 हजार से अधिक डॉक्टर इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित डॉक्टर्स महापंचायत में जुटे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक में बदलाव के लिए संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का विरोध करते हुए इस आंदोलन का आह्वान आईएमए तथा अन्य संगठनों ने किया.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर ने कहा, ‘सच तो यह है कि प्रस्तावित सिफारिश असल समस्या का समाधान करने के बजाय सिर्फ मुसीबत खड़ी करेगी। इसमें किए गए बदलाव कृत्रिम किस्म के हैं। स्वायत्त संस्था को भंग करना और नए आयोग का गठन करना चिकित्सा पेशे के कल्याण के विरुद्ध होगा। होमियोपैथी और आयुष को अपने शुद्ध रूप में रखते हुए प्रैक्टिस करने और आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसका घालमेल नहीं करने से ही जनता का स्वास्थ्य बेहतर रखा जा सकता है। लेकिन पीएससी की रिपोर्ट इस लिहाज से छलावापूर्ण है जिसमें नीमहकीमों को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए मिश्रित चिकित्सा में पिछले दरवाजे से प्रवेश दिलाने का प्रावधान है। काॅस्मेटिक संशोधनों के बावजूद असली समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।’

कार्य के संचालक डॉ. विनय अग्रवाल ने डॉक्टर्स के खिलाफ बढ़ रही हिंसा पर आवाज उठायी और नारे लगाए। अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने के मसले पर बहुत ज्यादा बहस किए जाने की जरूरत है। डाॅक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति हिंसा की कहीं भी आलोचना नहीं होगी जबकि इस तरह की ज्यादातर घटनाओं का ताल्लुक सरकार द्वारा अस्पतालों में उपलब्ध कराई गई अधोसंरचना या स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से ही होता है। लोगों को चिकित्सा लापरवाही का वास्तविक अर्थ समझना चाहिए कि कोई डाॅक्टर कभी भी गलत सर्जरी करना नहीं चाहता और लोग कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते। आईएमए ने मामूली क्लिनिकल त्रुटि के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज न किए जाने की भी मांग की है।

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