एम्स ने थमाया परसमनिया रेपकांड की शिकार मासूम के परिजनों को 9 लाख 70 हजार का बिल! -कहा जल्द करो जमा, जहां से जैसे भी हो, स्वास्थ्य सचिव ने कहा रकम अदा करना एम्स प्रशासन की है मजबूरी -दावा: एम्स प्रशासन ने कहा कि इलाज में मासूम को कोई दिक्कत नहीं

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ज्ञानप्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली कहते हैं कि महंगाई के इस दौर में बाप बड़ा न मइया सबसे बढ़ा रुपैया.आपकी पॉकेट में पहले पर्याप्त राशि होनी चाहिए बेशक आप किसी भी बड़े राजनेता की एप्रोच लेकर किसी भी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जा रहे हैं। यह आरोप तो कारपोरेट और निजी अस्पतालों में फिट बैठती है, इसे हर शख्स सहजता से स्वीकार कर लेता है, लेकिन चौंकाने वाले तथ्य ये हैं कि हम बात कर रहे हैं देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की। जहां पर मध्यप्रदेश के परसमनिया रेपकांड की शिकार मासूम के उपचार के एवज में एम्स प्रशासन ने करीब 9 लाख 70 हजार का बिल अदा करने की पेशकश की है। यह पेशकश सख्त लहजे में की गई है, चूंकि मासूम बच्ची के परिजन गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं, लेकिन उसे मध्य प्रदेश सरकार के अनुरोध पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एम्स में विशेष वार्ड में उसे भर्ती करने और बेहतर इलाज देने का निर्देश दिया था। उस वक्त तो एम्स प्रशासन ने मासूम को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया। पांच माह तक चले इस उपचार में जब उसे डिस्चार्ज किया गया तो उसके परिजनों को निर्देश दिया गया है कि वह उक्त राशि को जल्द से जल्द जमा कराए।
क्या है मामला:
परसमनिया रेपकांड की शिकार मासूम के उपचार के एवज में एम्स नई दिल्ली ने प्रदेश सरकार को 9 लाख का बिल थमाया है। पीड़िता का उपचार संस्थान में गत 3 जुलाई से किया जा रहा है। पांच माह तक उपचार चलने के बाद उसे अब ठीक बताया जा रहा है। उसे मतगणना के बाद (17 दिसंबर) को वापस सतना भेजा जाएगा। एम्स ने इसकी जानकारी मध्यप्रदेश सरकार को दे दी है और स्थानीय पुलिस को भेजने का आग्रह किया है। इस बीच हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदान ने कहा कि उक्त राशि मध्य प्रदेश सरकार अदा करेगी। मासूम के इलाज में किसी प्रकार की कोताही नहीं प्रदान की गई।
एम्स प्रशासन ने यह किया:
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डा. डीके शर्मा ने कहा कि पीड़ित को 18 अक्तूबर को ही डिस्चार्ज करने की जानकारी सरकार को दे दी थी। वहीं 2.99 लाख रु पए के भुगतान करने की भी जानकारी दी थी। मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के तहत प्रशासनिक व्यस्तता बताते हुए उसे आचार संहिता खत्म होने के बाद डिस्चार्ज करने का अनुरोध किया था। इसके अलावा पुन: उपचार के दौरान होने वाले सभी खर्च का भुगतान करने का भी आासन दिया था। एम्स के मुताबिक पीड़ित की आखिरी जांच 17 दिसंबर को की जाएगी। उसे जांच के बाद स्वस्थ्य पाते हुए एम्स चिकित्सकों ने पहले 4 दिसंबर डिस्चार्ज करने का निर्णय लिया था। बिल में 4.70 लाख रु पए हॉस्पिटल चार्ज और 5 लाख रु पए अन्य व्यय शामिल है। बहरहाल, मासूम के परिजन इस बात को लेकर कनफ्यूज है कि कहीं जब वे उसे यहां दोबारा फालोअप के लिए लाएंगे तो डाक्टर उसे शुल्क की मांग कर सकते हैं।

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