दुनियाभर में केंडिडा ऑरिस फंगस जर्म से सार्वजनिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा -फंगस विरोधी दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल से समस्या -बच्चों, बुजुगरे, डायबिटीज पीड़ितों को खतरा अधिक -स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी, किया डाक्टरों को एलर्ट

0
1258

ज्ञानप्रकाश/भारत चौहान
नई दिल्ली – भारत सहित दुनिया के कई देशों में कैंडिडा ऑरिस फंगस जर्म यानी दवा प्रतिरोधी फंगस (साईलेंट) चुपचाप फैल रहा है। रोगाणु इतना सख्त है कि इस पर एंटी फंगस दवाइयां असर नहीं करती हैं। इसने पिछले पांच वर्षो में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में जड़ें जमा ली हैं। वेनेजुएला में बच्चों के एक अस्पताल को निशाना बनाया। स्पेन में एक अस्पताल में फैल गया और ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल सेंटर की इंटेसिव केयर यूनिट बंद करना पड़ी। सी ऑरिस अभी हाल में अमेरिका के न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी और इलिनॉय प्रांत में पहुंच गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार राजधानी में ऐेसे लक्षण वाले मरीजों के आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को एडवाइजरी जारी की है। जिसमें सभी अस्पताल प्रमुखों को निर्देश जारी किया गया है कि उनके यहां इनडोर और आउट डोर ओपीडी के मरीजों की बीमारी के लक्षण पर कड़ी नजर रखे। चूंकि देश की राजधानी दिल्ली में माइग्रेंट लोगों को ज्यादा दबाव रहता है, इनमें विदेशी मुल्क के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं। इस वजह से यहां के डाक्टरों को भी एलर्ट रहने की दरकार है।
एडवाइजरी के मूल तथ्य:
एंटी माइक्रोबायल दवाइयों का गैरजरूरी उपयोग रोकना जरूरी। बढ़ते दवा प्रतिरोधी इन्फेक्शनों के उदय का नया उदाहरण है। कई दशकों से सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि एंटी बायोटिक्स दवाइयों के ज्यादा उपयोग से इनका प्रभाव कम हो रहा है। पिछले कुछ समय से ऐसे फंगस सामने आए हैं जिनका दवाओं से इलाज संभव नहीं है।
कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए है घातक:
दवा प्रतिरोधी जर्म को सुपरबग कहते हैं लेकिन इनसे सबकी मौत नहीं होती है। वे नवजात शिशुओं, बुजुर्गों, स्मोकर्स, डायबिटीज प्रभावितों, स्टेरॉयड लेने वाले उन लोगों के लिए घातक हैं जिनके इम्यून सिस्टम कमजोर हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, एंटी माइक्रोबायल दवाइयों का गैरजरूरी उपयोग नहीं रोका गया और नई असरकारी दवाइयां नहीं बनाई गई तो स्वस्थ लोगों के बीच इन्फेक्शन फैलने का खतरा है। एंटी बायोटिक्स और एंटी फंगल दवाएं लोगों में इन्फेक्शन रोकने के लिए जरूरी हैं लेकिन एंटी बायोटिक्स का उपयोग पालतू पशुओं के इलाज में भी होता है। फंगस विरोधी दवाइयों का इस्तेमाल फसलों, पौधों को खराब होने से रोकने में करते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है, फसलों पर फंजीसाइड्स के अंधाधुंध इस्तेमाल से मानवों में दवा प्रतिरोधी फंगस बढ़ रहा है।
ब्लड स्ट्रीम में इन्फेक्शन के मामले सामने आए:
अमेरिकी सरकार के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की हालिया रिपोर्ट के हवाले से राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान के माइक्रोबायलॉजी यूनिट के प्रमुख डा. एससी कांत का कहना है, 90 फीसद सी-ऑरिस इन्फेक्शन कम से कम एक और 30 फीसद इन्फेक्शन दो या अधिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी है। सी ऑरिस के संपर्क में आए लगभग आधे लोगों की 90 दिन के अंदर मौत हो गई। अस्पतालों में सी ऑरिस के कारण सबसे ज्यादा ब्लड स्ट्रीम में इन्फेक्शन के मामले सामने आए हैं।
यह भी:
डॉक्टरों ने पहली बार 2009 में जापान में एक महिला के कान में सी-ऑरिस इन्फेक्शन देखा था। तीन वर्ष बाद निजमेगन, नीदरलैंड्स में भारत के चार अस्पतालों से आए 18 मरीजों के खून में इन्फेक्शन के सैंपल की जांच कर रहे डॉ. मीस ने यह इन्फेक्शन पाया। सीडीसी के जांचकर्ताओं का पहले निष्कर्ष था कि सी- ऑरिस एशिया से शुरू होकर दुनिया में फैला है। लेकिन, जब एजेंसी ने भारत, पाकिस्तान, वेनेजुएला, दक्षिण अफ्रीका और जापान के सैम्पल जांचे तो पता लगा कि इसका उदय किसी एक स्थान से नहीं हुआ है। ऑरिस की कोई अकेली नस्ल नहीं है।
2050 तक एक करोड़ लोगों की मौत का अंदेशा:
ब्रिटश सरकार की एक स्टडी में बताया गया है, यदि दवाओं के प्रतिरोध को रोकने के लिए नीतियां नहीं बनाई गई तो 2050 तक दुनियाभर में ऐसे इन्फेक्शनों से एक करोड़ लोगों के मरने का खतरा है। वाशिंगटन यूनिर्वसटिी मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं का अनुमान है, अमेरिका में हर वर्ष इन्फेक्शन से एक लाख 62 हजार लोग मरते हैं। दवा प्रतिरोधी इन्फेक्शन से वि में करीब 7 लाख लोग मर सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here