इस पंद्रह वर्षीय नौजवान के बारे में जानकर आप हो जायेंगे हैरान, अध्ययन मैं कमजोर वर्ग के छात्रों की आंखों की जांच कर दी नई रोशनी

प्रधानमन्त्री मोदी के सबका साथ सबका - सबका विकास - सबका प्रयास - सबका विश्वास को सही मायनों मैं सार्थक करता पन्द्रह वर्षीय युवा स्टार्टअप

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भारत चौहान नई दिल्ली, प्रधानमंत्री मोदी के सन् 2045 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने मैं आज का युवा जी जान से जुटा हुआ है इसी कड़ी मैं प्रस्तुत है एक ऐसे युवा की कहानी जिसने ना केवल इस सपने को आत्मसात् किया बल्कि इसे मूर्त रूप मैं सार्थक सिद्ध भी किया है। आइये मिलते हैं इस युवा ऋदान से जिसने आठ वर्ष की आयु से सर्वप्रथम नशे मैं लिप्त बच्चों को उज्जवल भविष्य हेतु कंप्यूटर ज्ञान , ग्यारह वर्ष की आयु मैं प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र मैं स्युवाओं को कौशल प्रशिक्षण व अब “विज़न टू विज़न” – “विज़न फ़ॉर ऑल बाय द ईयर 2045” ( दृष्टि से दृष्टि – सभी के लिए दृष्टि वर्ष 2045 (तक) के माध्यम से दिल्लीशहर के 9 हजार से ज्यादा प्राथमिक स्कूलों में अध्ययन मैं कमजोर वर्ग के छात्रों की आंखों की जांच कर दी नई रोशनी:

ऋदान शर्मा ने 906 बच्चों को चश्मा वितरित किए, वर्ष 2045 तक मायोपिया ग्रस्त बच्चों के लिए सघन स्क्रीनिंग भी की

गुरुग्राम मैं स्थित श्रीराम स्कूल में 11वीं के छात्र एवं विजन टू विजन के फाउंडर ऋदान शर्मा का मानना है कि प्प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के अनुरूप किसी भी काम में ईमानदारी और कड़ी मेहनत से सफलता जरूर मिलती है, देर होने से निराश नहीं होना चाहिए, आगे बढ़ते रहें। इसी आत्म विास के साथ बमुश्किल १५ साल की आयु में प्विजन टू विजन योजना के दुर्गम चुनौती पूर्ण लक्ष्य की ओर आईसीआईसीआई फाउंडेशन और इंडिया विजयन इंस्टीट्यूट के सहयोग से बढ़ रहे हैं। ऋदान शर्मा विभिन्न स्कूलों में नेत्र शिविर के जरिए 9, 296 बच्चों के लिए नेत्र परीक्षण प्रदान कर चुके हैं। जिसके तहत 906 बच्चों को चश्मे वितरित करना वास्तव में उल्लेखनीय है। इस पहल में कमजोर आय वर्ग के दूर दराज के इलाकों से आनेवाले छात्रों के आंखों की स्क्रीनिंग, नेत्र परीक्षण करने के बाद उन्हें हर संभव चिकित्सीय सेवाओं के लिए भी तत्पर हैं। उनका अब लक्ष्य है कि विजन 2045 के तहत दिल्ली शहर के अलावा देश के अन्य राज्यों के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों की पहचान की जाए जिन्हें कम दिखाई देता है लेकिन उनके माता-पिता की अज्ञानता की वजह से इस विकृति से वे अनभिज्ञ है जिससे ऐसे बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को पड़ने, देखने, पहचानने आदि में दिक्कतों को सामना करते है। उनकी समर्पण, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है कि पश्चिमी दिल्ली जिला के शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक शिक्षा डा. राजवीर यादव की निगरानी में बच्चों के आंखों की जांच की जा है। यहीं नहीं शिक्षा निदेशालय ने उन्हें 30 और स्कूलों में शिविर आयोजित करने की अनुमति प्रदान की है।

यह आत्म निर्भर भारत के लिए जरूरी कदम प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश व मां से मिली प्रेरणा के अनुरूप ऋदान शर्मा का मानना है कि आंखों की देखभाल के प्रति आपके संगठन की प्रतिबद्धता और समुदाय पर आपके प्रभाव पर किसी का ध्यान नहीं गया है। दरअसल, पेशे से टीचर मां के साथ वे क्लास वर्क या फिर होम वर्क करने के लिए उनके साथ ही अक्सर अपने स्कूल की छुट्टी होने के बाद जाते थे। शर्मा ने कहा कि मैंने देखा कि स्कूल में बच्चों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अत्यंत गरीब घरों से आने वाले बच्चों को देखने में काफी दिक्कते होती थी जिसकी वजह से वे न तो ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को अपनी कापी पर उतार पाते थे न ही वे प्रश्नों का सही उत्तर दे पाते थे। जिससे उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि कम होती हा रही थी । उनकी समस्या के बारे में मां से बात किया, फिर अपने माता पिता ने ही मुझे खाली समय में कैसे मदद करोगे इस बारे में जानकारी दी ।निजी बैंक से टाईअप होने के साथ ही शिक्षा विभाग ने विजन टू विजन प्रोजेक्ट नेत्र शिविरों के जरिए स्थिति का आकलन करने की अनुमति दी। मेहनत रंग लाई। वह सफलता, समर्पण के साथ ही शिविर में युवा छात्रों के जीवन में लाए जा रहे सकारात्मक बदलाव का प्रमाण मानते है। शिविरों में उन्हें दरअसल,छोटी उम्र होने की वजह से बड़ी कठिनाइयों बच्चों को उनकी समस्या का पता लगाने के लिए पहले काउंसिलिंग की गई। फिर आई टेस्ट जिसके सकारात्मक परिणाम मिले। शिक्षा निदेशालय उप शिक्षा निदेशक डॉ राजवीर यादव ने बताया कि ऋदान शर्मा में कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छाशक्ति है। इस गंभीर स्समस्या पर सबका ध्यान आकर्षित करने के उपरांत विषम परिस्थितियों में सभी छात्री को उनकी आंखों की देखभाल व उसके लाभों के बारे बताया। छात्रों को परामर्श देकर ऋदान शर्मा न केवल उनकी शैक्षिक संभावनाओं में सुधार कर रहे हैं बल्कि उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता को भी बढ़ावा दे रहे हैं। इन नेत्र शिविरों के संचालन में विज़न टू विज़न के प्रयास इन बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य के बीज बो रहे हैं।
मात्र आठ वर्ष की उम्र से ही मादक पदार्थ का सेवन करने वालों को बुरी लत से छुटकारा दिलाने में तब वे मदद के लिए आगे आए थे जब दिल्ली के एक एनजीओ के नशा मुक्ति केंद्र में बच्चों की दयनीय हालत देखी थी। ऋदान प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से भी जुड़े थे जिसके माध्यम से उन्होंने कई छात्रों को पढ़ाया और उन्हें रोजगार के अवसर खोजने में मदद की। वर्ष 2045 तक भारत में प्रत्येक वंचित बच्चे की दृष्टि में सुधार लाने का ऋदान का दृष्टिकोण भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित है। इन सेवा कार्य के साथ वह पढ़ाई में भी बहुत अच्छे हैं। ऋदान हमेशा अपनी कक्षा के अव्वल बच्चो में रहे है व मात्र १३ वर्ष आयु मैं बहुराष्ट्रीय संस्थान मैं इंटर्नशिप कर चुके हैं व अब तक 25 से ज्यादा विभिन्न मानव कल्याण करने की एवज में विभिन्न संगठनों की ओर से प्रमाण पत्र दिया गया। शिक्षा निदेशालय की तरफ से उसके उत्कृष्ट कार्य के लिए समर्थन पत्र, प्रशंसा पत्र और आभार पत्र मिल चुक है।

नेत्र विजन एप तैयार:
ज्यादा से ज्यादा तेजी से बच्चों की आंखों की स्थिति का पता लगाने के लिए ऋदान शर्मा ने एप्स विकसित कर ली है। जिसकी खासियत यह है कि इस एप को डाउनलोड करने के बाद कुछ प्रश्न पूछें जाएगा। जिसका उत्तर मरीज को देना होगा। यह प्रक्रिया कुछ सेकंड्स की है। सही जवाब के मिलान के बाद मरीज को उसकी आंखों के विजन के बारे में पता लग जाएगा। जरूरत मंद मरीजों के नेत्र विकृति को रोकने के लिए चश्मा व अन्य ट्रीटमेंट संबंधी सेवाएं दी जा सकेंगी ।
ग़ौरतलब है प्रधानमंत्री द्वारा युवा वर्ग को भारी प्रोत्साहन दिया जा रहा है व वर्तमान मैं भारत मैं युवा स्टार्टअप्स की संख्या लगभग डेढ़ लाख तक पहुँच चुकी है व् इनमें बड़ी संख्या ग़रीब कल्याण व सामाजिक समानता आधारित स्टार्टअप्स की है जो सच मैं एक सुखद एहसास व स्वर्णिम भारत की परिकल्पना को साक्षात् सिद्ध करती प्रतीत होती है

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