डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया क्षेत्र के सदस्य देशों की स्वास्थ्य मुद्दों पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन खत्म

आपातकालीन तैयारियों को मजबूत करने का संकल्प लिया, स्वास्थ्य स्थिति को गति देने पर रहा जोर

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया रीजन के 11 सदस्य देश कई प्रकार की आपदाओं को लेकर संवेदनशील हैं, इसलिये उन्होंने आपातकालीन तैयारियों की क्षमता मजबूत करने का संकल्प लिया है, जिसके लिये जोखिम प्रबंधन का विस्तार, निवेश में बढ़त और बहुक्षेत्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन बढ़ाने का काम किया जाएगा।
सदस्य देशों ने नई दिल्ली के हयात होटल के कन्वेंशन हाल में मंत्रीस्तरीय राउंड टेबल पर ‘दिल्ली डिक्लैरेशन- इमरजेंसी प्रीपेर्यडनेस इन द साउथ-ईस्ट एशिया रीजन’ को अपनाया और क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह ने यह कहकर तैयारियों के महत्व को रेखांकित किया कि देशों की क्षमता मजबूत होने से क्षेत्र के साथ-साथ वि भी मजबूत होगा।
डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल कमिटी के 72वें सत्र में जेनेवा से जुड़ने वाले डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डा. ट्रेडोस अधानोम घीब्रीयेसुस ने कहा तैयारियों से जीवन और धन की बचत होगी। आपातकालीन तैयारियों पर दिल्ली की घोषणा इस क्षेत्र को सभी लोगों के लिये सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण चरण है।
चार प्रमुख पहल:
-प्रमाण-आधारित योजना के लिये संवेदनशीलताओं के मापन और मूल्यांकन द्वारा जोखिमों की पहचान, आपदा का जोखिम कम करने के लिये उपाय, तैयारी को परिचालन में लाना।
-आईएचआर कोर क्षमताओं की मजबूती, सुदृढ़ स्वास्थ्य पण्रालियों और अवसंरचना का निर्माण, राष्ट्रीय आपातकालीन चिकित्सा दलों और रैपिड रेस्पॉन्स टीमों द्वारा क्षमता विस्तार से लोगों और जोखिम प्रबंधन की पण्रालियों में निवेश होना चाहिये। अधिक निवेश की प्रतिबद्धता साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल हेल्थ इमरजेंसी फंड (एसईएआरएचईएफ) की तैयारी को सतत् और अधिक सहयोग पर भी जोर देती है।
-यह घोषणा आपदा जोखिम प्रबंधन, आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया पर राष्ट्रीय कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन, निगरानी, परीक्षण और पर्याप्त फंडिंग की बात भी करती है।
-अंत में यह क्षेत्रों और नेटवर्क को जोड़ने पर जोर दिया जैसे मानव, पशु, पर्यावरण समेत विभिन्न क्षेत्रों के बीच दूरी कम करने के लिये वन हेल्थ ताकि उभरते और बढ़ते रोगों की रोकथाम और नियंतण्रहो सके।
महत्वपूर्ण:
डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खैतरपाल ने बताया कि हमारे पास एक-दूसरे से साझा करने और सीखने के लिये बहुत कुछ है। भारतीय महासागर में आई सुनामी ने सभी का ध्यान खींचा था, जिसमें लगभग दो लाख लोग मारे गये थे और क्षेत्र के छह देशों को बहुत क्षति हुई थी। इसके बाद आपदा की तैयारियों और प्रतिक्रिया के मापदंड निर्धारित किये गये और क्षेत्रीय स्वास्थ्य आपातकाल फंड एसईएआरएचईएफ बना, जिसने 9 देशों में 39 आपातकालीन स्थितियों में मदद की और 6.07 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिये। स्वास्थ्य जोखिमों पर बेहतर क्षमता और प्रतिक्रिया के बावजूद डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया अब भी उभरते और बढ़ते रोगों, जलवायु परिवर्तन से जुड़े रोगों, तीव्र और बिना सोचे-समझे किये गये शहरीकरण और प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, तूफान, भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट के लिये सबसे संवदेनशील क्षेत्रों में से एक है।

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